नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस बार आयोग की शर्तों में देश के लगभग 69 लाख पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को शामिल नहीं किया गया है। इसे लेकर ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन (AIDEF) ने कड़ा विरोध जताया है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर तत्काल सुधार की मांग की है।
🔹 विवाद की जड़ क्या है?
AIDEF का आरोप है कि 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की Terms of Reference (ToR) में पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स की समीक्षा को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया था। लेकिन इस बार 8वें वेतन आयोग की ToR से यह पूरा हिस्सा हटा दिया गया है। इससे पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन संशोधन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
फेडरेशन का कहना है —
“जिन कर्मचारियों ने अपने जीवन के कीमती साल देश की सेवा में समर्पित किए, उन्हें अब उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यह न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि बेहद निराशाजनक भी।”
🔹 फेडरेशन की चार प्रमुख मांगें
AIDEF ने सरकार के सामने अपनी चार मुख्य मांगें रखी हैं ताकि पेंशनरों के हितों की रक्षा की जा सके —
- पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग के दायरे में शामिल किया जाए।
- नई वेतन और पेंशन संरचना की प्रभावी तिथि 1 जनवरी 2026 तय की जाए।
- कम्यूटेड पेंशन (जो अग्रिम ली जाती है) को 11 साल बाद बहाल करने की व्यवस्था की जाए, जो वर्तमान में 15 साल बाद होती है।
- संसद की स्थाई समिति की सिफारिश के अनुसार हर 5 साल में 5% पेंशन वृद्धि लागू की जाए।
🔹 क्यों अहम हैं महंगाई के सही आंकड़े?
विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई (Inflation) के सटीक आंकड़े वेतन आयोग की सिफारिशों को सीधे प्रभावित करते हैं। फिलहाल, सरकारी आंकड़ों में हाउसिंग इंफ्लेशन की गणना सरकारी क्वार्टरों के किराए और लाइसेंस फीस के आधार पर की जाती है, जो बाजार दरों से काफी अलग है।
उदाहरण के तौर पर, 2017 में 7वें वेतन आयोग के बाद HRA बढ़ने से हाउसिंग इंफ्लेशन 4.7% से 8.45% तक पहुंच गया, जबकि असल किराए में कोई खास बदलाव नहीं हुआ था। इसका मतलब है कि गलत या अपूर्ण डेटा से वेतन निर्धारण की प्रक्रिया असंतुलित हो सकती है।
🔹 18 महीनों में आएगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित 8वां वेतन आयोग अगले 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। आयोग की सिफारिशें केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्ते और पेंशन ढांचे का नया स्वरूप तय करेंगी।
इस बीच यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने ToR में सुधार नहीं किया, तो यह आयोग अपने असली उद्देश्य से भटक जाएगा — यानी कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों के लिए न्यायपूर्ण वेतन संरचना तैयार करना।
