कम लागत में ज़्यादा मुनाफा कमाने के लिए छोटे किसान अरबी की खेती कर सकते हैं, जिसमें बंपर पैदावार और अच्छा बाजार भाव मिलता है।
अरबी की खेती
यहाँ पर अरबी की खेती की जानकारी दी जा रही है। अरबी का स्वाद और आकार कुछ इस तरह दिखाई देता है जैसे मटन हो, इसलिए इसे शाकाहारियों का मटन भी कहा जाता है। यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है। इसकी खेती करके किसान कम लागत में ज़्यादा फायदा ले सकते हैं। इसमें केवल जैविक खाद का इस्तेमाल करके भी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। अरबी की खेती में बहुत ज़्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन संयम बनाए रखना ज़रूरी है। एक एकड़ में कितना उत्पादन मिलेगा और कितनी कीमत मिल सकती है, इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
अरबी की खेती कब और कैसे की जाती है?
अरबी की खेती के लिए फरवरी से अप्रैल के बीच का समय अच्छा माना जाता है। इस दौरान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उपयुक्त होता है। इसकी फसल 5 से 6 महीने में तैयार हो जाती है। अरबी की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। यदि किसान बुवाई के समय कंदों का उपचार कर लेते हैं, तो बेहतर परिणाम मिलता है।
अरबी के कंदों की रोपाई 45 × 30 सेंटीमीटर की दूरी पर करने से कंदों का विकास अच्छे से होता है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए, फिर सप्ताह में एक बार या 10 दिन के अंतर पर सिंचाई की जा सकती है। खेत से खरपतवार निकालते रहना चाहिए।

अरबी की खेती से उत्पादन और बाजार भाव
यदि किसान अरबी की खेती एक एकड़ में करते हैं, तो उन्हें 80 से 119 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। अच्छी देखभाल करने पर उत्पादन और भी बढ़ जाता है। बाजार भाव की बात करें तो इस समय अलग-अलग मंडियों में अलग-अलग दाम मिल रहे हैं। औसतन यदि किसानों को ₹30 प्रति किलो भी भाव मिलता है, तो 80 क्विंटल उत्पादन के हिसाब से किसान एक एकड़ से ₹2,40,000 तक की कमाई कर सकते हैं। खर्च निकालने के बाद भी किसानों को लगभग ₹2,00,000 का शुद्ध मुनाफा हो रहा है।
