भारत में संपत्ति खरीदने और रजिस्ट्रेशन कराने के नियम साल दर साल बदलते रहते हैं। खासकर जब बात होती है पत्नी के नाम पर जमीन या घर खरीदने की, तो इस मामले में सरकार ने हाल ही में कुछ बड़े बदलाव किए हैं। कई लोग अपने घर या जमीन पत्नी के नाम पर कराते हैं ताकि टैक्स या अन्य कानूनी फायदे मिलें, लेकिन नए नियमों के बाद यह प्रक्रिया अब पहले जैसी आसान नहीं रही। यह लेख इसी नए नियम के बारे में विस्तार से जानकारी देगा।
सरकार ने 2025 में भूमि रजिस्ट्री कानूनों में नई गाइडलाइन लागू की है जो पत्नी के नाम पर जमीन खरीदने वालों को सीधे प्रभावित करती है। इसका उद्देश्य जमीन की खरीददारी में पारदर्शिता बढ़ाना और फर्जीवाड़े को रोकना है। अब पति-पत्नी दोनों को अपनी आर्थिक विवरण और दस्तावेज ऑनलाइन और डिजिटल तरीके से देना अनिवार्य कर दिया गया है। उदाहरण के तौर पर, जमीन खरीदने वाले को अपने आय प्रमाण पत्र, बैंक स्टेटमेंट, भुगतान के सबूत, और पत्नी के पहचान दस्तावेज जमा करने होंगे। साथ ही, पति-पत्नी के डिजिटल हस्ताक्षर भी ज़रूरी हो गए हैं ताकि धोखाधड़ी या झूठे दावों को रोका जा सके।
New Land Registration Rule
2025 के नियमों के अनुसार, जमीन की रजिस्ट्री पर अब केवल दिखावे के लिए करवाना संभव नहीं होगा। पति या पत्नी के द्वारा जमीन की खरीद में जो भी पैसे लगाए गए हैं, उन पैसों का स्रोत स्पष्ट करना होगा। फंड ट्रांसफर का सबूत देना अनिवार्य है। अगर कोई लेन-देन बिना किसी वैध आधार के होता पाया गया, तो उस जमीन को बेनामी संपत्ति घोषित किया जा सकता है। इससे सरकार अवैध संपत्ति और कालाधन के इस्तेमाल को रोकना चाहती है।
इसके अलावा, नया नियम शादी प्रमाण पत्र को भी अनिवार्य करता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जमीन पति-पत्नी के बीच खरीदी गई है ना कि किसी फर्जी या धोखाधड़ीपूर्ण सौदे के तहत। रजिस्ट्री के वक्त दोनों के पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, और यदि कोई बैंक लोन चल रहा है तो बैंक की सहमति भी जरूरी होगी।
सरकार ने यह भी साफ किया है कि नए नियम के बावजूद पत्नी के नाम पर जमीन लेना बुरा नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है। कई राज्यों में पत्नी या महिलाओं के नाम पर रजिस्ट्री करने पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट भी दी जाती है। इसका मकसद है महिलाओं का संपत्ति अधिकार बढ़ाना और सामाजिक स्तर पर लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना।
सरकार के इस फैसले का मकसद और लाभ
सरकार का यह नियम जमीन खरीद को पारदर्शी बनाकर भ्रष्टाचार को कम करने का प्रयास है। पहले पति-पत्नी में विवाद होने पर जमीन की रजिस्ट्री रुक जाती थी या झगड़े सामने आते थे। नया नियम ऐसी स्थिति में भी आसानी से स्पष्टता और दस्तावेजों से संबंध स्थापित करता है जिससे विवाद कम हो पाएंगे।
इसके साथ ही फर्जी नामों का इस्तेमाल कर भ्रष्ट तरीके से संपत्ति खरीदने वालों पर लगाम लगेगी। खासकर उन मामलों में जहां जमीन पत्नी के नाम पर ढोंग या टैक्स चोरी के लिए खरीदते थे। नया नियम आर्थिक सत्यापन के आधार पर अधिदेशन करता है कि जमीन किसी वैध स्रोत से खरीदी गई है या नही।
अधिकांश राज्यों में डिजिटल हस्ताक्षरों और ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था के तहत अब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तेज हो गई है। इससे लंबी कतारें खत्म हुई हैं और लोग घर बैठे ही अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवा सकते हैं। यह सुविधा खासतौर पर उन लोगों के लिए सहायक है जो विभिन्न शहरों या देशों में रहते हैं।
