किसान अपने खेत में गलती से भी ना लगाए ये वाला पेड़,फायदे के चक्कर में जमीन हो जाएगी बंजर

खेती किसानो से अतिरिक्त लाभ कमाने के लिए अब किसान अपने खेत में मेंडो पर अलग प्रजातियों के पेड़ लगवाते है।ये पेड़ कुछ साल में बड़े हो जाते है,जिनकी लकड़ी बाजार में काफी अच्छे दाम पर बिकती है।कई पेड़ो को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है,सिर्फ मिटटी और जलवायु के अनुरूप बड़े हो जाते है ,लेकिन कुछ पेड़ो को देखभाल के साथ साथ निगरानी की भी काफी जरूरत होती है।कई बार लापरवाही और किसान की खेती में नुकसान हो सकता है।आपको बात दे को नकदी खेती में शामिल यूकेलिप्टस यानि नीलगिरि का पेड़ खेती योग्य जमीन के लिए खास अच्छा नहीं होता है। also read : ब्रीडिंग फार्मिंग क्या है ?? कैसे ये पशुपालको की आय बढ़ती है ?इसके लिए सरकार देती है है अनुदान
जानिए एक्सपर्ट की राय
नीलगिरि के पेड़ से लकड़ी,तेल और पशु चारा मिलता है।इस पेड़ को उगना काफी सरल है।जमीन पर पोधो की रोपाई के बाद 5 साल के अंदर पौधा तैयार हो जाता है ,यानि 5 साल के अंदर किसान नीलगिरि की खेती करे तो एक ही बार में लाखो की कमाई हो सकती है।लेकिन कमाई के चक्कर में किसानो को काफी कुछ गवाना पड़ सकता है।एक्सपर्ट के अनुसार यह तेजी से मिटटी के पोषक तत्व को सोख लेता है ,जिससे मिटटी की सरचना सुखी और बंजर होने लगती है। इसके विकास के लिए रोजाना 12 लीटर पानी की सिचाई होती है,जबकि सामान्य प्रजातियों के पेड़ रोजाना 3 लीटर सिचाई में ही तैयार हो जाते है।
पर्यावरण के लिए नई चुनौती
कई मिडिया रिपोर्ट के जानकारी मिली है की जिन इलाको में यूकेलिप्टस यानी नीलगिरि की खेती की जा रही थी ,वह भूजल स्टार गिरता जा राह है। इसी कारण से कई इलाको में डेंजर जॉन भी घोषित कर दिया गया है।पिछले कुछ सालो में किसानो ने हजारो नीलगिरि के पेड़ लगाए थे। जिससे एक समय के बाद अच्छी आमदनी हो सके लेकिन थोड़ा मुनाफा लंबे समय के लिए समस्या पैदा कर सकते है।
क्यों लगाया जाता है नीलगिरि के पेड़
भारत में नीलगिरि के पेड़ लगाने का चलन अग्रेजो के ज़माने चला आ रहा है।दलदली जमीन को सूखने और सामान्य बनाने के लिए ही नीलगिरि के पेड़ लगाने का चलन था,लेकिन अब कमाई के चक्कर में न पेसो की तादाद बढ़ती जा रही है और ये पर्यावरण के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे है। दुनियाभर में यूकेलिप्टस की करीब 600 प्रजातिया मिल जाएगी।यदि यूकेलिप्टस के पेड़ो से कमाई करना ही चाहते है तो नदी ,नहर या तालाब के नजदीक ही लगाना लाभदायक होगा।