Millet : कम मात्रा में लेना चाहते है कर्बोहाईड्रेड तो मोटे अनाजों को अपनी डाइट में करे शामिल,

मानव शरीर को ऊर्जा देने के लिए कार्बोहाइड्रेड को प्रमुख सोर्स माना जाता है। वैसे तो कार्बोहाइड्रेड से ज्यादातर लोगो को मोटापा आ जाता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि किसी भी संतुलित आहार में 45 से 65 फीसदी तक कार्बोहाइड्रेट होता है और इससे शरीर को रोजाना के कार्य करने के लिए जरूरी कैलोरी मिलती है। अगर आप हर रोज एक्सरसाइज़ करते है तो आपको हर रोज कार्बोहाइड्रेड कि आवश्यकता होती है। अगर कम कार्बोहाइड्रेड वाली खुराक लेना चाहते है। तो आपको डाइट में मोटे अनाजों को शामिल करना होगा।
ये हैं कम कार्बोहाइड्रेट वाले मोटे अनाज
आईसीएआर की तरफ से दिए गए आकड़ो के मुताबिक 100 ग्राम कंगनी में 58.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। लेकिन चावल में सबसे अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे मोटापा बढ़ता है। 100 ग्राम चावल में 96.2 ग्राम तक कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है। चवल के बाद में मोटे अनाजों में बाजरे को भी शामिल किया गया है। जिसमे कंगनी के बाद सबसे कम 64.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
अनाज कार्बोहाइड्रेड की मात्रा
कंगनी 58.1
बाजरा 64.5
गेहूं 64.7
सवां 65.5
कुटक 65.5
कोदो 66.2
रागी 66.8
ज्वार 67.7
चेना 78.4
चावल 96.2
मोटे अनाज के फायदे
पहले के जमाने में लोग अधिक मात्रा में मोटे नाजो का सेवन किया करते थे। आज ये अमीरो की पहली पसंद बन चूका है। क्योकि मोटे अनाज में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते है। मोटा अनाज बढ़ते हुए बच्चो की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। और बूढ़े लोगो के लिए ये काफी फायदेमंद भी होता है। मोटे अनाज को बौने में कम मेहनत और पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए सरकार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स
देशभर में इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स का आयोजन किया जा रहा है। इसका शुभारंभ 6 नवंबर 2022 को रोम, इटली में किया गया था। यह आयोजन विश्व में मोटे अनाज की वैश्विक मांग को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। भारत सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय बाजार को इसके लिए चिन्हित करने का फैसला लिया था। उसके बाद भारत नें 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को 2023 को अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। also read : दो तरह का होता है झुलसा रोग, यदि नहीं जानते है तो इस तरह से कर सकते है पहचान और बचाव