अब रबड़ की खेती से किसानो को होगा मोटा मुनाफा,जाने रबड़ की खेती का तरीका

 
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भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में 60 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है।भारत के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए व्यावसायिक खेती की तरफ रुझान कर रहे है।इसी में एक रबड़ की खेती है।रबड़ की खेती करने से किसानो को अच्छा लाभ हो रहा है।रबड़ का इस्तेमाल गाडियो के टायर,ट्यूबों,के बनाने के साथ जूते और एड़ियों,बिजली के तार आदि उपकरणों को बनाने में भी किया जाता है। भारत रबड़ उत्पादन के मामले में विश्व चौथे नम्बर पर है। केरल के साथ भारत के कई राज्यों में रबड़ की खेती की जाती है। 

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विश्व में रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख देशो में थाईलैंड,इंडोनेशिया,मलेशिया,भारत चीन आदि है।भारत में रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख राज्य केरल,तमिलनाडु,और कर्नाटक है।अगर आप भी रबड़ की खेती करना चाहते है तो रबड़ की खेती के लिए हल्की नरम जलवायु की जरूरत है।रबड़ का पौधा मुख्य तोर पर दक्षिण पूर्व एशिया के उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले एरिया में पता जाता है। इसके खेती करने के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त है और 150 से 200 सेंटीमीटर क वर्षा रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त है। 

रबड़ के खेती के लिए लेटेराइट युक्त लाल दोमट मिटटी सबसे उपयुक्त होती है।इसके खेत को तैयार करने के लिए पहले इसके पौधे रोपाई करने के लिए खेत की तैयारी करे।रबड़ की खेती करने के लिए इसके पोधो की रोपाई गड्ढो में की जाती है। इसलिए खेत में गड्ढे को तैयार करने से पहले खेत की कल्टीवेटर की मदद से गहरी जुताई कर्क मिटटी भुरभुरी कर लेनी चाहिए। पता लगाने के बाद समतल हो जाता है जिससे खेत की सिचाई करने में आसानी होती है। इसका पौधा लगाने के लिए जून से जुलाई के मध्य का समय सही होता है। इसकी सिचाई अच्छे से करे। 

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रबड़ के पौधे की रोपा के लिए गड्ढा तैयार करते समय हर एक पौधे के गद्दे 12 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या रोक फॉस्फेट का इस्तेमाल करे। इसे समय समय पर पोटाश,नाइट्रोजन,फॉस्फोरस उर्वको का इस्तेमाल करे। इन पोधो की सिचाई बार बार करे इन्हे पानी की आवश्यकत ज्यादा होती है। 

रबड़ के पेड़ एक बार लगाने पर 5 साल का होने के बाद उत्पादन देना शुरू कर देता है। लेकिन 14 साल में उत्पादन उच्च स्तर पर पहुँचता है और लगभग 40 वर्षो तक पैदावार देता रहता है।एक एकड़ खेत में रबड़ के 150 पौधे लगाए जा सकते है। एक पेड़ से एक साल में 2.75 किलो तक रबर का उत्पादन हासिल किया जाता है। इस तरह से किसान भाई 350 किलो तक रबड़ का उत्पादन हासिल कर सकता है।रबड़ का एक पेड़ 14 साल से लेकर 25 साल तक दूध का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।