अब खरगोश पालन करने से घर बैठे होगा जबरदस्त मुनाफा,जानिए इसके बारे में

कई लोगो को खरगोश पालना काफी पसंद होता है। ऐसे में अगर आपको भी खरगोश पालना पसंद है तो आपको कटिहार जिले के सीताराम से प्रेरणा ले सकते है।आपको बता दे बिहार में कटिहार में एक शख्स ने अपने शोक को ही रोजगार बना लिया। शोक को पूरा करने के लिए कटिहार के हंसनगज के रहने वाले सीताराम केवट बाजार से एक जोड़ा खरगोश खरीद कर लाए थे। उसी दो खरगोश के बच्चे होने पर संख्या बढ़ने लगी। पहले नजदीक के लोग घनश्याम से खरोगः खरीदने लगे। बाद में बाहर से भी लोग सीताराम के पास खरगोश खरीदने के लिए पहुंचने लगे। इसी तरह सीताराम पांच दर्जन से ज्यादा खरगोश बेच चुके है,जबकि अब भी उनके पास एक दर्जन से ज्यादा खरगोश है।
काफी आसानी से पांच से 500 रूपये जोड़ा बिकने वाले खरगोश खरीदने के लिए अब आस -पास के गांव के साथ शहर से भी खरीदार पहुंचने लगे गए। सीताराम ने जानकारी दी की उन्होंने शोक को पूरा करने के लिए 200 रूपये में एक जोड़ी खरगोश पालने के लिए बाजार से लाए थे। आज वह 500 रूपये जोड़ा बेच रहे है। उन्होंने बताया की खरगोश पालन एक अच्छा व्यवसाय है जो कम लागत से ज्यादा आमदनी देता है।
सीताराम का कहना है की इस रोजगार की शुरुआत करने के लिए बाजार से खरगोश खरीदकर लाए थे। उसके बच्चे हुए तब जब कोई रिश्तेदार या नजदीक से कोई घर आता है तो खरगोश के बच्चो को देखकर मोहित हो जाता और एक बच्चा देने की डिमांड करता। शुरुआत में तो सीताराम ने भाव प्रेम में खरगोश बात दिए,लेकिन बाद में कुछ लोग इससे पैसे भी देने लगे। जब पैसे आयना शुरू हुए तो खरगोश पालन को अपना रोजगार बना दिया।
सीताराम ने जानकारी दी की खरगोश घास ,बच्ची हुई सब्जिया,चावल और चने को खाता है।मादा खरगोश के साल में छह बार बच्चे होते है। इतना ही नहीं,एक मादा खरगोश एक बार में 6 से 7 बच्चे को जन्म देती है। ख़रगोश की अच्छी देखभाल करते हुए साफ सफाई का ख्याल रखना पड़ता है और उसके रहने के लिए लोहे का जालिनीमा बक्सा बनाया जाता है ,जिसमे खरगोश को रखा जाता है।
सीताराम के इस खरगोश पालन के रोजगार को देखकर गांव के लोगो में भी इसकी इच्छा जगी है। उनका कहना है की अगर सरकार से मदद मिले तो गे और बकरी पालन जैसे खरगोश पालन को भी रोजगार बाय जा सकता है। खरगोश पालन के लिए बेहद कम खर्च ,अति साधारण,और आसानी से बाजार में बिक जाने के कारण खरगोश पालन अब इस इलाके में एक नया व्यापर के रूप में विकसित हो रहा है।