Cardamom Cultivation : इस तरह से जैविक विधि से करे इलायची की खेती, आय में दोगुनी वृद्धि

भारत में कई तरह के मसालों की खेती की जाती है इनमें से इलायची भी एक है जिनकी देश से लेकर विदेशों तक मांग बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते है हमारे देश में जिन मसालों की खेती की जाती है वह खाने के स्वाद को और ज्यादा बढ़ा देते है ऐसे में इलायची एक ऐसी चीज है जिससे आपका खाना और भी स्वादिष्ट बन जाता है और इसकी मांग भी काफी ज्यादा रहती है। भारत के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। लेकिन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कोंकण, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के किसानों के द्वारा सबसे अधिक इलायची की खेती की जाती है। तो चलिए जानते है इलायची की खेती करने की जैविक विधि के बारे में जानते है।
इलायची की खेती
इलायची को मुख्य रूप से नारियल और सुपारी के बागों में बोया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है की इलायची की फसल सूरज की रौशनी में आकर के प्रभावित होती है इस कारण से खेती में नमी और आद्रता बनाए रखना बेहद जरूरी है।
जैविक विधि से करें इलायची की खेती
किसानों के द्वारा खेत में जैविक विधि को अपनाएं जाने से पैदावार में अधिक मुनाफा होता है। इसलिए अब किसान हर एक फसल में जैविक खेती को अपना रहे हैं। इलायची की खेती में भी किसानों के द्वारा जैविक विधि को अपनाया जा रहा है। इस खेती के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
इलायची की खेती के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए।
इसके अलावा खेत में करीब 3x3 मीटर के अंतराल पर सुपारी व नारियल के पेड़ लगाएं। इसके अलावा प्रति दो पेड़ के बीच में इलायची का एक पौधा होना चाहिए।
इलायची की खेती के लिए पानी का विशेष तौर पर ध्यान रखें। क्योंकि इसकी खेती के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। लेकिन पानी की मात्रा सिर्फ मिट्टी की नमी तक ही सीमित होनी चाहिए। और हर चार दिन के बाद सिंचाई करें।
कटाई का समय
जब इलायची की फसल पूरी तरह से पककर तैयार हो जाए यानी की फसल का रंग हरा और पीला हो जाए, तो ऐसे में आपको इलायची के डंठल सहित कटाई करनी है। also read : ब्रुसेल्स स्प्राउट : जानिए इस सब्जी की विशेषता और खेती करनी की विधि, आय में दोगुनी वृद्धि