विदेश से बेटे द्वारा बताए गए आइडिया से शुरू की महोगनी की खेती, अब हो करोड़ो की कमाई

सवाईमाधोपुर से शारीरिक शिक्षक के पद से रिटायर्ड वीरेन्द्र सिंह मान और उनकी पत्नी गवर्नमेंट गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शारीरिक शिक्षक के पद से रिटायर्ड निर्मला मान ने खेती किसानी को ही अपना करियर बना लिया है। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद राजस्थान में सबसे पहले अफ्रीकन महोगनी की खेती शुरू की।आम तौर पर रिटायरमेंट के बाद लोग आराम की जिंदगी गुजारना पंसद करते हैं। वहीं, सवाई माधोपुर गवर्नमेंट पीजी कॉलेज सवाईमाधोपुर से शारीरिक शिक्षक के पद से रिटायर्ड वीरेन्द्र सिंह मान और उनकी पत्नी गवर्नमेंट गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शारीरिक शिक्षक के पद से रिटायर्ड निर्मला मान ने खेती किसानी को ही अपना करियर बना लिया है। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद राजस्थान में सबसे पहले अफ्रीकन महोगनी की खेती शुरू की। मान दम्पती ने बोदल गांव में जमीन खरीदकर चार बीघा में अफ्रीकन महोगनी के करीब 1800 पौधे लगाए। अब यह पौधे दो साल के हो चुके हैं और लम्बाई करीब 12 से 13 फीट हो चुकी है। इन पौधों से मान दम्पती को दस साल बाद करीब दस करोड़ रुपए की आय अर्जित होगी।
हमेशा से ही था खेती करने का विचार, अब पूरा हो पाया
निर्मला मान बताती है कि उनका ससुराल पक्ष और पीहर पक्ष दोनों ही बड़े किसान हैं। दोनों तरफ ही पारम्परिक खेती की जाती है। नौकरी के दौरान उनका और उनके पति का मन हमेशा से ही खेती किसानी में रहा, लेकिन नौकरी से समय नहीं मिल पाने की वजह से वह खेती नहीं कर सके। जिसके बाद उनके पति वीरेन्द्र सिंह मान साल 2014 में रिटायर्ड हो गए। जिसके चार साल बाद साल 2018 में वह भी रिटायर्ड हो गई। दोनों ने रिटायर्टमेंट के बाद खेती करने की सोची। फिर उन्होंने व्यावसायिक खेती करने का मन बनाया। इसी दौरान उन्हें न्यूजीलैण्ड में रहने वाले उनके छोटे बेटे रजत मान ने अफ्रीकन महोगनी की खेती के बारे में बताया। वहीं मान दम्पती का बड़ा बेटा रॉबिन मान दिल्ली में आयकर अधिकारी के पद पर कार्यरत है।
रिसर्च करने के बाद शुरू की खेती
मान दम्पति ने इसके लिए काफी रिसर्च किया। इसके बाद अफ्रीकन मोहगनी की खेती करने का मन बनाया। उन्होंने लखनऊ से अफ्रीकन मोहगनी के पौधे खरीदे। दम्पति बताते है कि उन्होंने लखनऊ से एक पौधा 95 रुपए का खरीदा। उन्होंने वहां से करीब 1800 से पौधे खरीदे। जिसके बाद उन्होंने यहां पर यह पौधे लगाए। दो साल पहले यह पौधे करीब 2 फीट के थे।
5 हजार रुपए घन फीट बिकती है लकड़ी
मोहगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली होती है। इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है। यह 100 साल तक खराब नहीं होती है। जिसकी वजह से इसकी लकडि़यों का इस्तेमाल एरोप्लेन, शिप आदि के निर्माण में होता है। इसकी लकड़ी को सागौन से भी मजबूत माना जाता है। वर्तमान में इसकी लकड़ी 5 हजार रुपए घन फीट में बिकती है। इसके पौधे लगाने के बाद पेड़ तैयार होने में 10 से 15 साल का समय लगता है। इसके बाद इसकी लकडि़यां तैयार हो जाती हैं। यह औषधीय पौधा भी है। also read : Farmers : किसानों को हो रहा है बड़ा नुकसान, इस वजह से बढ़ रहे है तेल के दाम
इसलिए इसके पत्तों, फूलों और बीजों का उपयोग भी कई प्रकार के रोगों में होता है। इसका पौधा पांच सालों में एक बार बीज देता है। इसके एक पौधे से पांच किलो तक बीज प्राप्त किए जा सकते है। इसके बीज की कीमत एक हजार रुपए प्रति किलो तक होती है। इस पेड़ की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है। जिससे इसके पेड़ों के पास किसी भी तरह के मच्छर और कीट नहीं आते हैं। भारत में इसके पेड़ो की अभी तक कोई खास प्रजाति नहीं है। अभी तक केवल 5 विदेशी किस्में कलमी किस्मों को ही उगाया गया है। जिनमें क्यूबन, मैक्सिकन, अफ्रीकन, न्यूज़ीलैंड और होन्डूरन किस्में शामिल हैं।