राजस्थान में पाए जाने वाले इस कच्चे फल से बनाया जाता है आचार और कई बीमारियों में होता फायदेमंद

 
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हमारे आस पास कई पेड़ होते हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर फल देते है। लेकिन लोगों को इन फलों की अहमियत और महत्व की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में राजस्थान के कई इलाकों में गूंदी या लसोड़ा नाम से फल उगता है। यह फल पूरी तरह औषधीय गुणों से भरपूर है। इसका सेवन करने से कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इन दिनो बाजार में इसकी बिक्री शुरू हुई है। 

फल पहले तो बीकानेर के शहरी इलाकों में उगता था, लेकिन पेड़ो की कटाई और शहर बढ़ने के कारण यह पेड़ अब शहरी इलाकों से विलुप्त हो गए है। ऐसे में अब यह गावों और दूसरे शहरों में ज्यादा उगता है। दुकानदार मो असलम ने बताया कि गूंदी का यहां सिर्फ दो माह ही सीजन होता है हालांकि मई और जून में इसका सीजन होता है। इस फल की डिमांड भी अधिक रहती है। असलम ने बताया कि गूंदी यानी लसोड़ा 180 से 200 रुपए किलो बिक रहा है। इस फल को यहां गूंदी और लसोड़ा बुलाते है। इसके फल का उपयोग सब्जी और आचार बनाने के काम आता है। 

आईयूसीएन के सदस्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ दाउलाल बोहरा ने बताया कि लसोड़े कावानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है। यह राजस्थान, गुजरात सहित कई जगह इसके पेड़ है.यह पेड़ भी जाल जैसा ही होता है। इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है। इसकी पत्तियाँ ऊँट तथा बकरी खाते हैं। बोहरा ने बताया कि कच्चे लसोड़े की सब्जी और आचार भी बनाया जाता है। वहीं पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठारस होता है। लसोड़ा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,वसा,फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं। also read : Mothers day 2023 : मदर्स डे के दिन माँ के लिए बनाए ये सुपर हेल्दी ड्रिंक