दूर दूर तक बढ़ रही है चावल की इस किस्म की मांग, किसान ने बताई खेती की खासयित और मुनाफा

भारत में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर रहते है आज के समय में किसान पारम्परिक खेती में भी आधुनिक विधियों का इस्तेमाल करके जबरदस्त लाभ कमा रहे है
 
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भारत में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर रहते है आज के समय में किसान पारम्परिक खेती में भी आधुनिक विधियों का इस्तेमाल करके जबरदस्त लाभ कमा रहे है आज हम आपको जिले के बसंतपुर निवासी दुष्यंत सिंह ने पढ़ाई करके कई प्राइवेट कंपनियों में नौकरी की लेकिन वह खेती से अपने आप को दूर नहीं कर पाए उनका मन हमेशा से इसमें जुड़ा हुआ है। अंत में उन्होंने प्राकृतिक कृषि के प्रेमी सुभाष पालेकर और आनंद से परामर्श लेकर बलिया में ‘काला नमक किरण’ की खेती प्रारंभ की, जो गांव के भी अन्य कई किसानों के लिए रोजगार का साधन बन गया। यह एक सुगंधित स्वास्थ्यवर्धक चावल है। यह बलिया जनपद में और कहीं न मिलने की वजह से काफी ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। 

60 बीघे में कर रहे खेती
दुष्यंत सिंह के कहना है कि वह कम्प्यूटर साइंस में बीटेक पास आउट है उन्होंने कई प्राइवेट कंपनियों में जॉब की है लेकिन उनका मन सबसे ज्यादा कृषि की तरफ लगा हुआ है उन्होंने सब कुछ छोड़कर इस धान की खेती शुरू कर दी  इस बार इसका दूसरा साल है उन्होंने पहले साल में कम धान पैदा किया है इस वजह से यह उनके लिए नई फसल है लेकिन जब प्रयोग सफल रहा है तो इस वर्ष 60 बीघे से अधिक धान का उत्पादन कर रहे है। 

धान की इस प्रजाति की खासयित 
काला नमक हिरण नाम का यह चावल शुगर के रोगियों के लिए नुकसानदायक नहीं है। इस चावल की सुगंध दूर तक फैलती है, जिस घर में पकता है, उसके अगल-बगल के इलाके को भी सुगंधित कर देता है। 

बाहरी खाद का नहीं होता प्रयोग
इस फसल को उगाने में किसी भी प्रकार की बाहरी खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसको उगाने के लिए खुद जीवामृत तैयार किया जाता है, जो गाय के मूत्र, गोबर, बेसन और गुड़ से तैयार होता है। कीटनाशक के लिए जमीन के 2 फीट नीचे की काली मिट्टी और जल का प्रयोग किया जाता है। 

इस फसल से फायदा
दुष्यंत ने बताया कि काला नमक किरण नामक धान की खेती उन्होंने अपने 60 बीघा खेत में की जिसमें एक बीघा की खेती में लगभग 4-5 हजार रुपये तक की लागत लगती है। इस हिसाब से 60 बीघे में 36 लाख रुपये तक फायदा होगा, जबकि लागत तीन लाख रुपये तक की आई है। 

दूर दूर तक बढ़ रही है डिमांड 
इस धान की मांग तमिलनाडु, त्रिची, कनार्टक, पुणे, दिल्ली, चंडीगढ़ के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त डिमांड है। वहां के व्यापारियों से संपर्क किया गया तो ऑर्डर भी मिल रहे हैं। also read : 
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