फसलों में तेजी से हो रहे है कीटनाशक के इस्तेमाल से घट रही है मधुमक्खियाँ की संख्या, नहीं हो रहा है परागण

फसलों के परागण में मधुमक्खियाँ अहम भूमिका निभाती है लेकिन फसलों में दिए जाने कीटनाशक पदार्थो के कारण यह कृषि पद्धतियाँ खतरे में आ गयी है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक पदार्थो की वजह से मधुमक्खियाँ की संख्या लगातार कम होती जा रही है हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, फसल में लगातार कीटनाशक तत्वों के छिड़काव के कारण मधुमक्खियों पर बुरा असरहो रहा है इन कीटनाशक में पाए जाने वाले हानिकारण गुणों के कारण इनकी मृत्यु होती जा रही है।
मधुमक्खियों की कमी से घटेगी पैदावार
सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के मुताबिक, खेती की अधिकतर फसलों के पैदावार पराग कणों के ऊपर निर्भर करती है लेकिन इस बढ़ते हुए जहरीले रसायन से प्राण कणों की टम्म प्रजातियों की संख्या में कमी आ रही है जिससे विश्व विश्व की खाद्य और जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए एक बड़ी समस्या आ रही है।
मधुमक्खियों को नुकसान
इस समय मोबाईल फ़ोन का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है वैज्ञानिको के मुताबिक, मोबाईल फ़ोन के के वाइब्रेशन के कारण भी मधुमक्खियों को नुकसान होता है ऐसे में आज गांव से लेकर के शहर तक हर जगह मोबाईल फ़ोन की तरंगे मौजूद है जिसका असर मधुमक्खियों के जीवनकाल पर देखने को मिल रहा है।
वैज्ञानिकों का दावा
नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर और फूड एंड एनवायरनमेंट के वैज्ञानिको के मुताबिक फसलों में परागण करने वाले कीड़े बेहद नाजुक होते है और यह फलो की तरफ काफी तेजी से आकर्षित होते है। फसलों में लगातार कमिकल के इस्तेमाल से इनका जीवनकाल खत्म होता जा रहा है जो आने वाले समय में हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है केमिकल खाद में खासतौर से कवक नाशी के इस्तेमाल फसलों में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते है जिकसकी वजह से मधुमक्खियां मरने लगती हैं। इस वजह से पौधों के परागण क्षमता कम होती जा रही है। यह आज के समय में चिंता का विषय बनता जा रहा है। also read :