मिट्टी की उपजाऊ बनाने और फसल की गुणवत्ता में सुधार करने के ये जैविक तत्व, बस करना होगा ये काम

 
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भारत दुनिया में बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने कि आवश्यकता है। बागवानी फसलों में गैर-नवीकरणीय रासायनिक उर्वरको का त्यधिक उपयोग न केवल पर्यावरण और मिट्टी को प्रदूषित करता है बल्कि ये मानव स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। मृदा स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण फसलों के उत्पादन के लिए सुरक्षित,पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाले उर्वरकों की आवश्यकता होती है। बागवानी फसलों की उत्पादकता और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरकों की जरूरत है। 

जैविक उर्वरकों में बैक्टीरिया, कवक और एक्टिनोमाइसेट्स का मिश्रण होता है जिनमे बीज, जड़ो और मिट्टी और खाद वाले क्षेत्रों में उपयोग में लिया जा सकता है। जैविक उर्वरकों के प्रयोग से पौधों की वृद्धि और फसल उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। जैविक उर्वरकों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस को घुलनशील बनाना और फाइटोहोर्मोन, अमोनिया और साइडरोफोरस जैस तत्व पाए जाते है। 

फास्फोरस का उपयोग 
फास्फोरस पौधों की वृद्धि के लिए काफी उपयोगी तत्व मन जाता है यह पोधो के विकास को तेजी से करता है इसकी कमी से पोधो का विकास रुक जाता है और पत्तियां मुरझा जाती है। दुनियाभर के अधिकांश मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी पाई जाती है। फॉस्फोरस मिट्टी के प्रकार और पीएच के आधार पर लौह, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के अघुलनशील फॉस्फेट के रूप में पाया जाता है। बैसिलस, स्यूडोमोनास, एसनेटोबैक्टर, अल्कालिजेन्स, बर्कहोल्डेरिया, एंटरोबैक्टर, इरविनिया, फ्लेवोबैक्टीरियम, माइक्रोबैक्टीरियम, राइजोबियम और सेराटिया जेनेरा से संबंधित सूक्ष्मजीवों में अघुलशील मिट्टी के फॉस्फेट को घुलनशील करने की क्षमता पाई जाती है। 

नाइट्रोजन स्थिरीकरण
सूक्ष्मजीवों के मिट्टी का नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने में मदद मिलती है। नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया को 3 वर्गो में बांटा गया है। 
 गैर-सहजीवी - एज़ोटोबैक्टर, बजरनिकिया, क्लेबसिएला, पैनीबैसिलस, क्लोस्ट्रीडियम और डेसल्फोविब्रियो राइजोबियम और फ्रेंकिया सहित सहजीवन - एज़ोस्पिरिलम सहित तीन वर्ग शामिल हैं। पौधों की वृद्धि राइजोबैक्टीरिया सूक्ष्मजीव से होती हैं,जो पौधों की जड़ों के आसपास रहते हैं। 
 फाइटोहोर्मोन - ये एंजाइम, साइडरोफोर और अमोनिया के माध्यम से पौधों पर लाभकारी प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं। also read : 
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