Wheat Variety : वैज्ञानिकों ने तैयार की गेंहू की 3 ऐसी किस्में, 150 दिनों में देती है जबरदस्त उत्पादन, नहीं पड़ता हीट वेव का असर

 
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भारत में बड़े पैमाने पर गेंहू की खेती की जाती है। यहाँ अलग अलग क्षेत्र में गेंहू की अलग अलग किस्मों की बुवाई होती है। वहीं हाल ही वैज्ञानिको के द्वारा गेंहू की उन्नत किस्मों को खोजा गया है। इन किस्मों से गेंहू का बम्फर उत्पादन किया जा रहा है। वहीं हाल ही में ICAR-IIWBR द्वारा गेहूं की 3 किस्में खोजी गयी है जो न केवल बेहतरीन उत्पादन देती है बल्कि इनमे रोग लगने के खतरा भी नहीं रहता है। जैसे जैसे हमारी पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। वैसे-वैसे हमारी फसलों के उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। इसका असर हमें गेहूं के उत्पादन पर देखने को मिलता है। ऐसे में वैज्ञानिक भी गेंहू की उन किस्मों का विकसित करने में लगे हुए है। जिनमें बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सके और उत्पादन पर भी ज्यादा असर न पड़े। 

हाल ही में ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा ने ऐसी ही तीन नई बायो फोर्टिफाइड किस्में- DBW-370 (करण वैदेही), DBW-371 (करण वृंदा), DBW-372 (करण वरुणा) विकसित की हैं। इनकी खेती करके किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इसके साथ ही वैज्ञानिको ने गेहूं की इन किस्मों की खासियतों के बारे में कहा है कि, "जिस तरह तापमान बढ़ रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए हम लोग हीट प्रतिरोधी किस्में विकसित कर रहे हैं, जिससे गेहू का उत्पादन प्रभावित न हो। और ये तीन किस्में ऐसी ही किस्में हैं, जो खेती के लिहाज से काफी अच्छी साबित होती है। 

देश के इन इलाकों में होता है गेंहू का उत्पादन 
देश के सबसे उपजाऊ और गेहूं की फसल का सबसे ज्यादा उत्पादन वाले उत्तरी गंगा-सिंधु के मैदानी क्षेत्र हैं। इन इलाकों में गेहूं के मुख्य उत्पादक राज्य जैसे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र, जम्मू और कठुआ, हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला और पोंटा घाटी क्षेत्र को शामिल किया जाता है। 

DBW-371 (करण वृंदा)
गेंहू की यह किस्म मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान,पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कठुआ, हिमाचल प्रदेश का ऊना, पोंटा घाटी और उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में की जा सकती है। इसकी उत्पादन क्षमता 87.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और औसत उपज 75.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। पौधों की ऊँचाई 100 सेमी और पकने की अवधि 150 दिन और 1000 दानों का भार 46 ग्राम होता है।  इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12.2 प्रतिशत, जिंक 39.9 पीपीएम और लौह तत्व 44.9 पीपीएम होता है। 

DBW- 370 (करण वैदेही)
गेंहू की इस किस्म की उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और औसत उपज 74.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।इसमें पौधों की ऊँचाई 99 cm और पकने के लिए 150 दिन लगते है। दिन और 1000 दानों का भार 41 ग्राम होता है। इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12 % जिंक 37.8 ppmऔर लौह तत्व 37.9 ppm होता है। 

DBW- 372 (करण वृंदा)
इसकी उत्पादन क्षमता 84.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और औसत उपज 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। पौधों की ऊँचाई 96 cm और इस्क्के पकने में 151 दिन लगते है और 1000 दानों का भार 42 ग्राम तक होता है। इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12.2 % , जिंक 40.8 ppm और लौह तत्व 37.7 ppm तक होता है। इस किस्म के पौधे 96 Cm के होते हैं, जिससे इनके पौधे तेज हवा चलने पर भी नहीं गिरते हैं। also read : 
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