पिता- पुत्र के बीच रिश्ता सहज नही
Sat, 4 Mar 2023

परिवार की एक शाखा यानी कुसुम बत्रा के मृत पति का भाई सुधाकर बत्रा (अमोल पालेकर) भी है जिसकी अपनी संताने भी हैं। धीरे धीरे ये सच्चाई उभरती है कि अरुण बत्रा तो एक गोद लिए गए बच्चे के रूप में इस घर में आया, और जिसका `गुलमोहर’ पर कोई कानूनी अधिकार भी नहीं है।
नई पीढ़ी के अरमान अलग
आजकल यौन संबंधों में कई तरह की चीजों का समावेश हो रहा है जिसके बारे में पुरानी पीढ़ी सोच भी नहीं सकती है। जैसे स्त्रियों के बीच समलैंगिता। क्या अरुण बत्रा गोद लिए गए अधिकार हीन पुत्र के रूप जिस कड़वी सच्चाई से रूबरू हुआ है वो इस मनौवेज्ञानिक संकट से निकल पाएगा? फिल्म धीरे धीरे चलती है इसलिए नई पीढ़ी के दर्शकों को शायद उतना न भाए। लेकिन पुरानी पीढ़ी के दर्शकों को ये जरूर अहसास होगा कि नई पीढ़ी के साथ कदम मिलाकर चलने की जिम्मेदारी उनकी भी है। अमोल पालेकर का किरदार थोड़ा सा ही सही खलनायकत्व लिए हुए है, लेकिन है दमदार। फिल्म में नौकर-नौकरानी की एक समानांतर प्रेम कथा चलती है जो मुख्य कहानी को एक दूसरा आयाम दे देती है।