कम सेलेरी, अधिक काम बना स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ, बर्न आउट का सबसे बड़ा कारण, जानिए कैसे ?

 
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पिछले कुछ समय से स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ, बर्न आउट जैसी हेल्थ का इस्तेमाल करना आम बात हो गयी है छोटी से छोटी परेशानी स्ट्रेस का कारण बन जाती है इस सबके मायने और लक्षण अलग अलग होते है। स्ट्रेस कठिन हालात की वजह से होने वाली चिंता है। यह रोजमर्रा के जीवन में सामने आने वाली चुनौतियों की वजह होता है, जो एक स्वाभाविक मानवीय प्रक्रिया है। इससे हर कोई गुजरता है।

स्ट्रेस चुनौतियों से निपटने के लिए काफी जरुरी है। किसी काम को करने या लक्ष्य हासिल करने के लिए स्ट्रेस जरूरी है। लेकिन व्यक्ति उस चुनौती से निपटने के बजाय अगर उसमें नेगेटिव तरीके से डूबता चला जाता है तो यही स्ट्रेस समस्या बन जाती है। कई बार कभी-कभी तनाव लेना खतरनाक हो जाता है। इसी स्थिति में बॉडी कॉर्टिसोल और एड्रिनिल जैसे हॉर्मोन रिलीज करने लगती है। इनके बढ़ते ही बॉडी का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है। ये हार्ट रेट, ब्रीदिंग को कंट्रोल करता है। स्ट्रेस से फिजिकली, मेंटली और इमोशनली अलग-अलग दिक्कतें होती हैं।

स्ट्रेस के लक्षण अलग आग होते है 
स्ट्रेस आपकी बॉडी और माइंड दोनों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है थोड़ा स्ट्रेस तो अच्छा माना जाता है क्योकि ये हर रोज का काम करने के लिए मोटिवेट करता है लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन जाता है इससे अधिक स्ट्रेस के कारण एंग्जायटी, डिप्रेशन, पैनिक अटैक जैसे इमोशनल और मेंटल जैसी समस्या होती है। 

किसी काम में अधिक बिजी होना कर सकता है बर्नआउट
बर्नआउट का मतलब होता है व्यक्ति काम करते करते थक जाए। यह काम के बोझ और उसमें खुद को डूबा लेने की वजह से होता है। कहने का मतलब है कि किसी काम में ज्यादा व्यस्तता से व्यक्ति बर्न आउट महसूस कर सकता है। बर्नआउट निगेटिव इमोशन और वापसी का एक साइकल होता है। यह आपकी बॉडी का रिस्पॉस होता है। बर्नआउट अधिक और लगातार तनाव के कारण इमोशनली, शारीरिक और मानसिक थकावट की स्थिति है, जिसके कारण कामों को करने की रूचि खत्म हो जाती है।

वर्कप्लेस पर 40% लोगों ने माना बर्नआउट की फीलिंग 
साल 2021 के बाद से वर्कप्लेस पर बर्नआउट सबसे ज्यादा हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन समेत छह देशों में फुल टाइम डेस्क पर काम करने वाले 10 हज़ार कर्मचारियों पर सर्वे किया गया, जिनमें से 40% से अधिक ने माना कि वे बर्नआउट महसूस कर रहे हैं। मई 2021 में फ्यूचर फोरम ने वर्कप्लेस पर बर्नआउट पर रिसर्च करना शुरू किया, तब उस समय, 38% कर्मचारियों ने बर्नआउट की बात स्वीकारी। अब ये आंकड़ा 42% पहुंच गया है, जो कि एक नया रिकॉर्ड है। also read : 
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