कब्ज, बवासीर, शुगर, गुर्दे की पथरी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसे रोगो में काफी फायदेमंद होती मूली, जानिए इसके जबरदस्त फायदे

 
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मूली ही नहीं बल्कि इसके पत्ते भी शरीर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माने जाते है। मूली के पत्तों में आयरन और फास्फोरस जैसे मिनरल्स देखने को मिलते है। जो इम्युनिटी को बूस्ट करते है। मूली पेट के लिए काफी अच्छी मानी जाती है यह शरीर से विषैले तत्वों को निकालने में मदद करती है। आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए मूली के फायदे बताने जा रहे है तो चलिए जानते है। 

चरक संहिता में कच्ची मूली को माना गया है त्रिदोष नाशक
आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' के 'हरितवर्ग' अध्याय में मूली के गुण-दोष बताए गए हैं। ग्रंथ के अनुसार, कच्ची मूली त्रिदोष नाशक है, जबकि पकी हुई मूली त्रिदोषकारक मानी गई है। मूली के पत्तों को काटकर अगर घी या तेल में पकाकर सब्जी बनाएं तो यह वायु दोष को खत्म करती है।

मूली में मौजूद पोषक तत्व
भारतीय वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, 100 ग्राम मूली में नमी 94 ग्राम, कैलोरी मात्र 17, प्रोटीन 0.7 ग्राम, फैट 0.1 ग्राम, मिनल्स 0.6, फाइबर 0.8, कार्बोहाइड्रेट 3.4 ग्राम होता है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, ऑक्सेलिक व नाइकोटिन एसिड, आयरन, सोडियम, विटामिन A और विटामिन C भी पाया जाता है।

शरीर की गंदगी को निकाले बाहर
मूली एक जड़ वाली सब्जी है। लेकिन यह कई गुणों की खदान है। पीलिया रोग में मूली का सेवन फायदेमंद है। यह खून और शरीर को अन्दर से साफ करती है। अगर आपको कब्ज और बवासीर की समस्या रहती है तो मूली को रोज सलाद में लें। लिवर के लिए भी मूली फायदेमंद है। इसे शुगर रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है, क्योंकि मूली में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका अर्थ है कि इसे खाने से ब्लड शुगर के स्तर पर कोई असर नहीं पड़ता। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसे श्वसन विकारों में भी मूली लाभकारी मानी जाती है।

गुर्दे की पथरी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में फायदेमंद
आयुर्वेद में मूली को गुर्दे की पथरी दूर करने वाला माना गया है। अगर सूंघने की शक्ति कम हो रही है तो मूली उसमें सुधार करती है। इसका सेवन यूरिन की जलन को भी कम करता है। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारियों में भी मूली लाभकारी है।

मूली के पत्तों में भी हैं कई गुण
मूली के पत्तों में मौजूद फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन को बेहतर करने में भी मदद कर सकता है। बता दें कि पाचन क्रिया भी इसी का एक हिस्सा है। मूली के पत्ते फाइबर से भरपूर होते हैं, इसलिए इसकी सब्जी खाने से पाचन बेहतर रहता है। मूली के पत्तों में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होता है इसलिए ये लिवर के लिए भी गुणकारी हैं। पीलिया के लिए एक दिन में मूली के पत्ते का आधा लीटर जूस पीने की सलाह दी जाती है।also read : 
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