आखिर क्यों स्ट्रोक जैसी बीमारियों के लिए क्रिटिकल इलनेस इंशोयरेंस पॉलिसी जरुरी है ?? जानिए क्या काम आती है

आज के समय में सेहत से जुडी कई समस्या रहती है। स्ट्रोक को ब्रेन स्ट्रोक भी कहते है।जब ह्यूमन ब्रेन के एक हिस्से को ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती है तो वो हिस्सा काम करना बंद कर देता है।ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब कोई बलस वेसल फैट जाती है या दिमाग तक ब्लड की सप्लाई ब्लॉक हो जाती है।ऐसे में एक मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन माना जाता है।इसके लिए क्विक ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब ऑक्सीजन ले जाने वाला ब्लड फ्लो खून के थक्को या दिमाग में ब्लड ले जाने वाली आर्टिरियल वेसेल के रप्चर होने के कारण रुक जाता है।जिन लोगो को धमनिया ब्लॉक होती यह उन्हें ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा ज्यादा रहता है।एक सर्वे के अनुसार पहली बार स्ट्रोक वाले रोगियों में से लगभग 1/5 वे मरीज 40 या उससे कम उम्र के थे।ब्रेन स्ट्रोक का खतरा उन लोगो में ज्यादा होता है जिनकी उम्र 55 साल से ज्यादा होती है। लेकिन ये किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। ब्रेन स्टॉक की फेमेली हिस्ट्री वाले लोगो को इसका खतरा ज्यादा रहता है। also read : न्यू ईयर पर घूमने जाने की प्लानिंग,तो जाइए राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन
स्ट्रोक में कृतकाल इलनेस इन्शुरन्स पालिसी क्यों जरुरी
जब आपकी उम्र 40 साल से ऊपर है और इसके अलावा जब आप अपने हेल्थ और खाने की आदतो का ध्यान नहीं रखते है तो आप हार्ट अटेक या ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते है।ब्रेन स्ट्रोक बल क्लॉट और बल वेसेल के रप्चर होने के कारण होता है।अगर ब्लड स्लो कम हो जाता है और समय पर दिमाग तक नहीं पहुँचता है तो ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो सकती है।ब्रेन स्ट्रोक से निपटना सरल नहीं है और ऐसे समय में आपके फेमली का स्पोर्ट जरुरी है।इसका ट्रीटमेंट हॉस्पिटल और डॉक्टर की फ़ीस आदि में होने वाला खर्चा सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है।ये आपकी सारि सेविंग को खत्म कर सकता है।यही पर क्रिटिकल इलनेस इंशोयरेंस पॉलिसी काम आती है।क्युकी इस पॉलिसी होल्डर को मेडिकल एक्सप्रेस ,हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद में एम्बुलेंस फ़ीस,डॉकटर की फ़ीस आदि के लिए कवरेज मिलता है। हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से बीमारी के कारण आपकी फाइनेंशियल कंडीशन पर ज्यादा असर नहीं होता है।
ट्रीटमेंट कोस्ट
इसिकमिया के लिए ऐसी दवाये मौजूद है जो ब्रेन स्ट्रोक के प्राइमरी स्टेज में पेशेंट को उनकी नर्वस के माध्यम से दी जाती है।डॉक्टर एस्प्रिन और क्लोपिडोग्रेल भी देते है जो ब्लड फ्लो को नर्वस में आसानी से बनाने और ब्रेन तक पहुंचने के लिए पतला बनाता है।इसके लिए साल भर के इलाज की जरूरत होती है। इसलिए आपको हजारो रूपये खर्च काने होते है। जिससे दवा,टेस्टिंग,डॉक्टर की फ़ीस आदि शामिल है। ये एक मिनिमम इनवेसिव तकनीक ऐसीप्रेशन सिस्टम और दवाओं के साथ साथ सर्जरी भी है। इस इलाज में होने वाला खर्च लाखो रूपये का है।अगर आप क्रिटिकल इलनेस इंशोयरेंस पॉलिसी से कवर नहीं है तो ये फाइनेंशियल बोझ का कारण बन सकता है।