शादी के दौरान साली क्यों छिपाती है जूते, यदि नहीं पता इससे जुड़ी हुई वजह तो यहाँ जानिए

 
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सनातन धर्म में शादी को बेहद पवित्र माना जाता है। एक शादी सिर्फ दो लोगो को नहीं बल्कि दो परिवारों का मेल-मिलाप होती है। हिन्दू धर्म में शादी के दौरान कई तरह के रीती रिवाज होते है जिनमे से कुछ रिवाज बेहद अनोखे और दिलचस्प होते है। ऐसा ही एक रिवाज जूते छिपाने का भी होता है। जब दूल्हा शादी के मंडप में प्रवेश करता है तब उसे मंडप में जूते बाहर ही उतराने होते है। इस दौरान दुल्हन की बहन या उसकी दूल्हे का जूता गायब कर देती है। अब दूल्हे को जूता वापस लेने के लिए साली को मुंह मांगी मुराद पूरी करनी होती है। दूल्हा जूता वापस लेने के लिए साली को पैसे देता है। ज्यादातर जगहों पर इस रस्म को फॉलो किया जाता है लेकिन किसी से पूछ लिया जाए कि जूता छुपाई का रिवाज क्यों किया जाता है तो शायद ही कोई बता पायेगा। 

क्यों आया ये रिवाज?
आपको बता दें कि जूता छुपाई की एक ऐसी रस्म है जिससे दूल्हे की पर्सनालिटी को चेक किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि किसी शख्स के जूते उसके कई सारे राज खोल देते हैं। जब साली अपने जीजा का जूता चुराती है, तब एक तरह से वो जीजा के संयम का टेस्ट होता है।  इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि जीजा कितनी समझदारी से साली से अपने जूते वापस ले पाता है। जूता छुपाई की रस्म के पीछे एक और तर्क दिया जाता है। कहा जाता है कि विदाई के दौरान ज्यादातर लोग रोने लगते हैं, इसलिए जूता छुपाई की रस्म वहां खुशनुमा माहौल पैदा करती है। इस रस्म के दौरान वहां बैठे मेहमानों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने को मिलती है। 

रिश्ते हो जाते हैं मजबूत
बड़े बुजुर्ग का मानना है कि जूता चुराई की रस्म से दोनों परिवारों के रिश्ते में मजबूती आती है। इस रस्म के साथ दूल्हा-दुल्हन के परिवार आपस में बातें करते हैं और तालमेल बढ़ने लगता है। बातें बढ़ने से लोग एक दूसरे के करीब आते हैं। इससे रिश्ते एक-दूसरे का विश्वास भी बढ़ता है। also read : 
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