ग्रहण के दौरान ये दो पापी ग्रह देते है चन्द्रमा को कष्ट !

 
h

साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण आज रात्रि में लग रहा है और यह ग्रहण बेहद खास माना जा रहा है।यह चंद्र ग्रहण भारत में दृश्यमान होगा। ज्योतिष गणना के मुताबित चंद्र ग्रहण मेष राशि और अशिवनी नक्षत्र में लहणे जा रहा है जो और भी खास माना जा रहा है।ज्योतिष शास्त्र के मुताबित चंद्र ग्रहण को एक घटना मणि जाती है।ज्योतिष शास्त्र के मुताबित चन्द्रमा  के ग्रहण लगने  की मुख्य  वजह राहु केतु ग्रह होते है। also read : सिर्फ दिवाली के दिन बनता है इस तरह शुभ योग, इस बार इन दिन है दिवाली, जान लीजिए लीजिए लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

इस वजह से लगता है ग्रहण ! 
इसके बाद ब्र्हा जी ने स्वर्भानु के सर को एक सूर्य वाले शरीर से जोड़ दिया और वह शरीर ही राहु कहलाया और उसके धड़ को सर्प के दूसरे के साथ जोड़ दिया जो केतु कलया।सूर्य और चन्द्रमा के राज खोलने के कारण हो कहा जाता है की राहु और केतु दोनों उनके दुश्मन बन  गए जिसकी वजह से राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्र  को ग्रस्त कर लेते है।इसी वजह से पूर्णिमा तिथि के दिन अक्सर चंद्र ग्रहण लगता है। 

कैसे हुई राहु केतु की उत्पत्ति ??
जिसके बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण करते हुए देवता को अमृत का कलश पिलाया तो राक्षस को जल पिलाने लगे इसके बाद एक राक्षस को इसकी भनक लगी।उसने सोचा की हम लोगो के साथ धोखा किया जा रहा है।ऐसे में वह देवताओ का रूप धारण कर सूर्य और चन्द्रमा के बगल में आकर बेथ गया।जैसे ही अमृत उसको मिला वैसे ही सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और यह बात भगवान विष्णु को बताई .जिसके बाद भगवान विष्णु क्रोधित होकर अपने सुदर्शन चक्र से राहु के गले पर वार किया।लेकिन तब तक राहु अमृत पि चूका था। जिसके कारन उसकी मृत्यु नहीं हो पाई।पूर्ण्ति शरीर के दो धड़ जरूर हो गए थे।सर वाले भाग को राहु और धड़वाले भाग को केतु कहा गया।