फाल्गुन पूर्णिमा 6 और 7 मार्च को,होली के बाद बदलता है मौसम,ऐसे में खान-पान में जरूर करे ये बदलाव

हिन्दू धर्म में फाल्गुन मास्स की पूर्णिमा का बेहद महत्व है।इस बार फाल्गुन पूर्णमा 6 और 7 मार्च को रहेगी।इस तिथि पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव रहता है।साथ ही वसंत ऋतू भी होती है।इसलिए इस दिन से प्रकृति में कई बड़े बदलाव होने लगते है।यही कारण है आयुर्वेद और ग्रंधो में इस दिन से ही खान पान और रूटीन में बदलाव करने की बात कही है।
कथाओ के अनुसार फाल्गुन मास्स में ही चन्द्रमा का जन्म हुआ,इसलिए इस महीने में चन्द्रमा की भी उपासना की जाती है।फाल्गुन महीने में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना विशेष फलदायी है।इस महीन की पूर्णिमा तिथि पर खानपान और कीवनचर्या में बदलाव करना चाहिए।इस माह में भोजन में अनाज का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और फलो का सेवन करे।
फाल्गुन पूर्णिमा से करना चाहिए दिनचर्या में बदलवा
आयुर्वेद के मुताबित फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर वसंत ऋतू का प्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है।इसलिए इस दिन से खान पान में बदलाव करना चाहिए।दिन में नहीं सोना चाहिए।हल्का और आसानी से पचने वाला खाना चाहिए। खाने में फलो का प्रयोग करे।इसके अलावा अनाज के इस्तेमाल से बचना चाहिए और पुराने अनाज का इस्तेमाल करना चाहिए। also read : होली के दिन किन चीजों का दान नहीं करना चाहिए -
प्रकृति में बढ़ता है उत्साह का संचार
फाल्गुन पूर्णिमा वसंत ऋतू कीपूर्णिमा होती है। इस रित्तु के दौरान प्रकृति में बदलाव होने लगते है।वही पूर्णिमा पर चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओ के साथ होता है। इस तिथि का स्वामी चन्द्रमा ही होता है इसलिए चन्द्रमा का भी प्रभाव बढ़ा हुआ है।चन्द्रमा अपनी किरणों से प्रकृति में सकारत्मकता बदलाव ज्यादा होने लगता है।चन्द्रमा और वसंत ऋतू के प्रभाव से इस दिन प्रकृति में उत्साह का संचार होता है।