शिव जी के अंशवतार है हनुमान जी,शिव पूजा के साथ करे हनुमान चालीसा का पाठ

शिव जी के 19 अवतारों में से एक अवतार है हनुमान है। इसे शिव जी का अंशवतार माना जाता है।त्रेता युग में जब रावण का आंतक बढ़ गया ,तब विष्णु जी राम अवतार लेने वाले थे।उस समय सभी देवताओ ने श्रीराम की सेवा और मदद करने के लिए अलग अलग अवतार लिए थे। शिव जी ने श्रीराम के परमभक्त हनुमान जी के रूप में अवतार लिया था।श्रीरामचरित मानस के अनुसार,शिव जी राम को अपना आराध्य मानते है। also read : शिवजी के अवतार है कालभरेव,पूजा करते समय भक्त को अपनी बुराइया छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए
ज्योतिष के अनुसार शिव जी की पूजा में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाना बेहद शुभ रहता है।इसके साथ शिव पूजा में राम नाम का जप भी कर सकते है।पद्भ पुराण के पतालखंड में शिव जी ने और हनुमान जी एक प्रसंग है।
जब श्रीराम अक्षयमेघ यह्य कर रहे थे।उनके यह्य घोडा घूमते घूमते देवपुर नगर पंहुचा। उस नगर के राजा थे वीरमणि। वीरमणि शिव भक्त थे। राजा के पुत्र रुक्मांगद ने यह्य के घोड़े को बंदी बना लिया था।जब ये बात श्रीराम के भाई शत्रुघ को मालूम हुई तो उन्होंने देवपुर पर आक्रमण कर दिया।
शत्रुद्ध और वीरमणि की सेना का युद्ध शुरू हुआ तो हनुमान जी भी वीरमणि की सेना खत्म करने लगे।राजा की हार होती देखकर शिव जी रहा की और से युद्ध करने लगे।युद्ध में जब शिव जी और हनुमान जी का सामना हुआ तो हनुमान जी ने उनसे पूछा की आप तो राम भक्त है।फिर हमसे युद्ध क्यों कर रहे है।
शिव जी ने कहा की मेने राजा वीरमणि को उसके राज्य की रक्षा करने का वचन दिया है।इसलिए मुझे राजा की और से युद्ध करना पद रहा है। वह मेरा प्रिय भक्त है।शिव जी और हनुमान जी के बिच युद्ध हुआ,लेकिन जब शिव जी पराजित नहीं हुए तो उन्होंने श्रीराम का स्मरण किया। जब श्रीराम युद्ध में पहुंचे तो शिव जी राजा वीरमणि के साथ श्रीराम की शरण में चले गए। इस तरह से युद्ध शांत हो गया।
न में शिव अभिषेक के साथ ही करें हनुमान चालीसा का पाठ
सावन में शिव अभिषेक के साथ ही करे हनुमान चलीसा का पाठ
शिव जी का अभिषेक करने के बाद हनुमान जी का भी अभिषेक करना चाहिए।इसके बाद सिंदूर में तेल मिलाकर हनुमान जी को लेप करे। फूलो की माला पहनाए।मिठाइयों का भोग लगाए।चंदन,चावल और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाए।धुप दिप जलाए और आरती करे।