स्नान-दान और पूजा-पाठ के लिए पवित्र माना जाता है ज्येष्ठ महीना, जल दान करने से प्राप्त होता है अक्षय पुण्य

ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 6 मई से हुई है। इसका नाम ज्येष्ठ नक्षत्र की वजह से पड़ा है। इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है। इसलिए इसे ज्येष्ठ मॉस के नाम से जाना जाता है इस दिन कबीरदास यन्ति मनाई जाती है। इस हिंदी महीने में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और इसके बाद में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, शिवजी, हनुमानजी और सूर्य पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस पवित्र महीने में जलदान करने की भी परंपरा है। जिससे मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता, इसलिए ज्येष्ठ मास को पवित्र महीना कहा जाता है।
इसी महीने में रहता है नौतपा
ज्येष्ठ महीने में ही नौतपा रहता है। साल में एक ही बार जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है, तब नौतपा शुरू हो जाता है। जो कि इस बार 25 मई से 2 जून तक रहेगा। इन दिनों सूर्य की किरणें ज्यादा देर तक धरती के उत्तरी हिस्से पर रहती है। जिससे धरती तेज तपती है और आने वाले दिनों में बारिश की तैयारी हो जाती है। इन तपते दिनों में किए गए जल दान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
श्रीकृष्ण और शिव पूजा का भी महीना
ज्येष्ठ मास में भगवान विष्णु के साथ ही श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए। भगवान के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल का शीतल जल से अभिषेक करना चाहिए। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। साथ ही चंदन लेप भी लगाएं।
इस महीने में शिवलिंग पर शीतल जल चढ़ाने का महत्व पुराणों में बताया है। जिससे जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इसके लिए चांदी के लोटे से शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, आंकड़ा, धतूरा, शहद आदि चीजें भगवान को अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
ज्येष्ठ महीने में जरूरतमंद लोगों को कपड़े, छाते, अन्न और धन का दान करना चाहिए। गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए पैसों का दान करें। पानी से भरे मटके का दान करें। किसी भी मंदिर में पानी का मटका भरकर रख दें।
ज्येष्ठ मास में शनि जयंती, गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी पर्व
हिन्दू पंचांग के तीसरे महीने ज्येष्ठ में पानी का महत्व बताने वाले व्रत-पर्व आते हैं। इनमें 30 मई को गंगा दशहरा और 31 मई को निर्जला एकादशी व्रत किया जाएगा। गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान करने परंपरा है। अगले दिन निर्जला एकादशी रहती है। इस व्रत में निर्जल रहकर उपवास किया जाता है। ये व्रत पानी के महत्व को बताते हैं। also read : आज संकष्टी चतुर्थी व्रत ,पूजा के साथ जरूरतमंद लोगो को दान पुण्य करे