ज्येष्ठ मास : आज से शुरू हो रहा है साल का सबसे बड़ा महीना, दान-पुण्य और स्नान के लिए माना जाता है पवित्र

ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 6 मई से 4 जून तक होनी वाली है। इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों के अनुसार जल और पेड़-पोधो की पूजा का खास महत्व होता है। कहा है जाता है इस महीने में तीर्थ स्नान का काफी खास महत्व होता है। इसके साथ ही तिल और जल का दान किया जाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की उम्र बढ़ती है और हर तरह की परेशनियो से मुक्ति मिलती है। ग्रंथों के मुताबिक इस महीने में दिन में सोने की मनाही है। शारीरिक परेशानी या अन्य समस्या हो तो एक मुहूर्त तक यानी करीब 48 मिनट तक सो सकते हैं। सूर्योदय से पहले स्नान और पूरे महीने जल दान करना चाहिए।
इस महीने व्यर्थ जल बहाने से वरुण दोष लगता है। इसलिए फालतू पानी बहाने से बचना चाहिए। इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। इससे संतान को कष्ट मिलता है। आयुर्वेद का कहना है कि इससे शरीर में वात रोग और गर्मी बढ़ती है। इसलिए पूरे महीने बैंगन खाने से बचना चाहिए।महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि जो ज्येष्ठ महीने में एक समय भोजन करता है। वो धनवान और निरोग होता है। इसलिए हो सके तो इन दिनों में एक बार खाना खाएं। इस महीने में तिल का दान करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सेहत भी अच्छी रहती है। ज्येष्ठ महीने का स्वामी मंगल है। इसलिए इन दिनों में हनुमान जी की पूजा का भी बहुत महत्व है। इस महीने हनुमान जी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
इस तरह से पड़ा ज्येष्ठ महीने का नाम
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, ये साल का तीसरा महीना होता है। इस महीने का स्वामी मंगल होता है इसके आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है। इसलिए इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। प्राचीन काल की गणना करे तो इस महीने में दिन बड़े होते है और इस महीने को सबसे बड़ा कहा जाता है जिसे संस्कृत में ज्येष्ठ कहा जाता है। इस महीने ग्रंथो के हिसाब से काम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और दुखो का निवारण होता है। also read : वैशाख के महीने की पीपल पूर्णिमा आज,भगवान विष्णु की पूजा से होगा बेहद लाभ,जानिए शुभ मुहर्त और पूजा विधि