जानिए कब है मंगल प्रदोष का शुभ मुहूर्त, पूजा और व्रत की विधि ?

 
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भगवान शिव की पूजा के लिए पावन महीना सावन तो खत्म हो चुका है लेकिन हर महीने के दोनों पक्षों की त्रोयदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है ये व्रत अलग अलग वारों के साथ में मिलकर कई शुभ योग बनाता है। इनमे से सोमवार, मंगलवार और शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बेहद शुभ होता है इस बार सितंबर 2023 में मंगल प्रदोष का शुभ योग बन रहा है ऐसे में आइए जानते है मंगल प्रदोष की पूजा विधि, व्रत और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते है। 

कब है मंगल प्रदोष?
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 सितंबर, सोमवार की रात 11:52 से 12 सितंबर, मंगलवार की रात 02 बजे तक होने वाली है। आपको बता दे, प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा शाम को करने का विधान है। ये संयोग 12 सितंबर की शाम को बन रहा है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।

मंगल प्रदोष क्यों इतना खास?
वैसे तो प्रदोष व्रत हर बार अलग-अलग वारों के साथ मिलकर कई तरह के योग बनता है, लेकिन मंगल प्रदोष का संयोग बहुत ही खास माना गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष होता है, वे लोग यदि इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करें तो इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

जानिए शुभ मुहूर्त 
12 सितंबर, मंगलवार को आश्लेषा नक्षत्र पूरे दिनभर तक रहने वाला है। जिससे आनंद नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और शिव नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बनेंगे। इस तरह मंगल प्रदोष पर 3 शुभ योगों का संयोग बन रहा है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:30 से रात 08:49 तक यानी लगभग 02 घण्टे 19 मिनट तक रहने वाला है। 

इस विधि से करें मंगल प्रदोष पूजा-व्रत
प्रदोष व्रत करने के लिए 12 सितम्बर की सुबह के समय उठे और स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लेवे। इस दिनभर निराहार यानि बिना कुछ खाए पाई रहना है यदि ऐसा संभव नहीं तो आप फलहार भी ले सकते है इस दिनभर शिवजी के मंत्र का जाप करे और शाम के समय पूरे विधि विधान के साथ में पूजा करे। और भगवान शिव एक-एक करके बिल्व पत्र, धतूरा रोली, अबीर, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। पूजा के बाद भगवान को भोग लगाएं और अंत में आरती करें। also read : 
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