कल अमावस्या पर करे भगवान विष्णु - लक्ष्मी का अभिषेक,जानिए पूजा विधि के बारे में

गुरुवार 14 सितंबर और शुक्रवार 15 सितंबर को भादप्रद की अमावस्या है।तिथियों की घट बढ़ के कारण से दो दिन ये तिथि है।इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहते है।इस दिन साल भर के लिए कुश घास इक्क्ठा की जाती है।पूजा पाठ,धुप ध्यान के नजरिये से इस अमावस्या का महत्व एक त्यौहार की तरह है।तो चलिए जानते है इसके बारे में also read : इस दिन मनाई जाएगी करवा चौथ,जानिए शुभ मुहर्तऔर पूजा के बारे में
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या पर देवी देवताओ की पूजा के साथ ही पितरो के लिए धुप ध्यान,पिण्डन और तर्पण आदि शुभ काम करे जाते है। इस दिन शुभ देवी देवताओ की पूजा करे,दोपहर में पितरो के लिए धुप ध्यान और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाए।अमावस्या के दिन जल्दी उठे और सूरत को अर्ध्य दे।जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करे।लोटे में पानी के साथ फूल और चावल भी जरूर डाले।
ऐसे करे भगवान का अभिशेख
घर के मंदिर में बाल गोपाल के साथ ही विष्णु जी और लक्ष्मी जी का अभिषेक करे। इसके लिए दक्षिणव्रता शंख का इस्तेमाल करे।भगवान का वासुदेवाय मंत्र जप करे।दूध के साथ जल से भगवना का अभिषेक करे।भगवान को नए कपड़े अप्रीत करे।हार फूल से क्ष्रगर करे।तिलक लगाए।धुप दिप लगाकर आरती करे।
अमावस्या की दोपहर गाय के गोबर से बने कंडे जलाए और जब कंदो से धुँआ निकलना बंद हो जाए,तब पितरो का ध्यान करते हुए अंगारो पर गुड़ घी डाले।घर परिवार और मर्त सदस्यों को पितृ कहा जाता है।गुड़ घी चढ़ाने के बाद हथेली में जल ले और अंगूठे की और से पितरो का ध्यान करते हुए जमीन पर छोड़ दे।