21 मार्च को चैत्र अमावस्या,हनुमान जी की पूजा का शुभ योग,पितरो के लिए करे श्राद्ध तर्पण और धुप ध्यान

हिन्दू धर्म मे अमावस्या का बेहद जरुरी महत्व है।मंगलवार 21 मार्च को चैत्र मास की अमावस्या है। मंगलवार को ये तिथि होती है तो इसे भोम अमावस्या कहते है।अमावस्या को भी त्यौहार की तरह मनाया जाता है। इस तिथि पर नदियों मे स्नान,तीर्थ दर्शन,करने की और पितरो के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।
ज्योतिष के अनुसार हिन्दू धर्म मे चैत्र अमावस्या के बेहद महत्व मानते है।क्युकी इसके अगले दिन से नव संवत शुरू होता है यानि पुराने स्वैंट की ये आखिरी तिथि होती है।इस दिन पितरो के लिए किये गए शुभ कर्मो से पितरो को तृप्ति मिलती है।ऐसा माना जाता है घर परिवार के मर्त सदस्यों को पितृ देव माना जाता है।तो आइए जानते है मंगलवार और अमावस्या के योग मे कौन कौन से शुभ काम किए जा सकते है।
हनुमान जी की पूजा का वार है मंगलवार
मंगलवार हनुमान जी का वार होता है।इसी कारण मंगलवार को श्रीराम की पूजा के बाद हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करे।इसके अलावा आप श्री राम का जप भी कर सकते है।सिंदूर और चमेली के तेल से हनुमान जी का शर्गर करे। मिठाई का भोग लगाए। धुप दिप जलाकर आरती करे। also read : इस दिन मनाई जा रही हनुमान जयंती, जानिए बजरंगबलि की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
पितरो के लिए ऐसे कर सकते है धुप ध्यान
इस दिन सुबह देवी देवताओ की पूजा करनी चाहिए और दोपहर के बाद पितरो के लिए धुप ध्यान करे।दोपहर का समय श्राद्ध तर्पण,धुप ध्यान करने के लिए अच्छा माना जाता है। गाय के गोबर से बना कंडा जलाये।पितरो का ध्यान करते हुए अंगारो पर गुड़ और घी डाले। इसके बाद हथेली मे जल लेकर अंगूठे की और से पितरो को जल अर्पित करे।
अमावस्या के दिन करे ये काम
अमावस्या पर सुबह जल्दी उठे और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाये।ॐ सूर्य नमः का जप करे। घर के मंदिर मे बाल गोपाल है तो उनका अभिशेख करे।माखन मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाए।भगवना विष्णु की पूजा करे। शिवलिंग पर जल चढ़ाये।