भादपद्र की अमावस्या इस दिन,धर्म - कर्म में इस्तेमाल की जाती कुश घास

 
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इस बार भादपद्र की अमावस्या दो दिन रहेगी। 14 सितंबर को कुशग्रहणी अमावस्या और 15 सितंबर को स्नान की अमावस्या रहेगी।इस दिन धर्म कर्म में प्रयोग होने वाली कुशा घास सालभर के लिए इक्क्ठा करने की परंपरा है।भादपद्र की अमावस्या पर पितरो के लिए क्ष्रद भी करना चाहिए। also read : आज अजा एकादशी व्रत,नहीं तोड़े तुलसी,जानिए पूजा के बारे में

ज्योतिष के अनुसार कुश घास का धर्म कर्म में कवी ज्यादा महत्व है।ऐसा माना जता है इस घास के साथ पूजा पाठ करने से भक्तो की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है।क्ष्रद ,कर्म जैसे पितरो से जुड़े कामो में कुशा घास की अंगूठी बनाकर पहना जाता है।इसके बाद पितरो के लिए धुप ध्यान और बाकि कर्म किये जाते है।इस तिथि पर कुश घास का संग्रहण किया जाता है। 

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जरूर करे ये शुभ काम 
अमावस्या पर पितर देवताओ के लिए क्ष्रद कर्म ,तर्पण और धुप ध्यान जरूर करे।अमावस्या की दोपहर गाय से बने कंडे जलाये और गुड़ घी डालकर पितरो का ध्यान करे।हथेली में जल लेकर अंगूठे की और से पितरो को अर्पित करे।ऐसा माना जाता है की अमावस्या पर किए गए शुभ कामो से पितर देवता तृप्त होते है। 

ऐसे करे पूजा 
कुश के बने आसान पर बैठकर पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है।पूजा पाठ करते समय हमारे शरीर में ज्यादा उत्जा बढ़ने लगती है।अगर हम सीधे जमीन पर बैठकर पूजा करते है तो ये ऊर्जा जमीं में समा जाती है,लेकिन अगर हम कुश के आसान पर बैठकर पूजा करते है तो ये ऊर्जा हमारे शरीर में ही रहती है। माना जाता है की कुश के आसान पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र जल्दी सिद्ध हो जाते है।