भादपद्र की अमावस्या आज,इस दिन करे नदी स्नान और दान

 
f

हिन्दू धर्म में पंचाग के अनुसार एक महीने में दो पक्ष होते है,एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की पंद्रहवी तिथी को अमावस्या कहते है। 14 और 15 सितंबर को भादपद्र मॉस की अमावस्या है,इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहते है।कृष्ण पक्ष की पंद्रहवी तिथि को एक पितर के कारण से अमावस्या नाम मिला है।अमावस्या पर पितरो के लिए धुप ध्यान,देवी देवता की पूजा के साथ ही दान पुण्य जरूर करे।जरूरतमंद लोगो को अनाज,कपड़े ,जूते चप्पल ,धान का दान करे। also read : आज है भादपद्र मॉस की अमावस्या,जानिए शुभ मुहर्त और स्नान दान के महत्व के बारे में

ज्योतिष के अनुसार अमावस्या से जुडी एक कथा बताई गयी है।कथा के अनुसार पुराने समय में ये एक कन्या ने पितरो को खुश करने के लिए तप किया था।उस कन्या की तपस्या से पितर देवता प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट हुए।उस दिन कृष्ण पक्ष की पंदरवही तिथि थी।पितरो में एक अमावसु नाम के पितर भी थे,वे दिखने में बहुत सुंदर और आकर्षक थे।जब कन्या ने अमावस्या को देखा तो वह मोहित हो गयी और उसने अपने वरदान में माँगा की वह अमावस्या से विवाह करना चाहती है। 

g

कन्या सुंदर थी ,लेकिन अमावसु ने उससे विवाह करने से इंकार कर दिया।कन्या ने उसे मानाने की कोशिश की ,लेकिन अमावस्युँ नहीं माने। अमावस्युँ के सयम से सभी पितर बेहद खुश हुए और उन्होंने अमावस्युँ को वरदान दिया की अब कृष्ण पक्ष की पंद्रहवी तिथि अमावस्युँ के नाम से जानी जाएगी।

इस दिन पितरो के लिए धुप दिप जलाए 
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए है।ऐसे में अमावस्या पर पितरो की तृप्ति के लिए तर्पण,क्ष्रद कर्म और धुप ध्यान और दान पुण्य करे।अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है।इस दिन मंत्र जाप ,तप और व्रत करने की परंपरा है।सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाए और ॐ सूर्य नमः मंत्र का जाप करे।