रंग पंचमी : 12 मार्च को मनाया जा रहा है रंग पंचमी का उत्सव, जानिए क्या है इससे जुड़ी हुई पौराणिक मान्यता

होली के बाद में रंग पंचमी का पर्व देश में बड़े धूम-धाम के साथ में मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ में होली खेली थी। इसलिए रंग पंचमी के दिन श्री कृष्ण के साथ राधा जी की पूजा की जाती है। इस बार यह पर्व 12 मार्च यानि की रविवार के दिन पड़ रहा है।
चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाए जाने की वजह से इसे कृष्ण पंचमी भी कहते हैं। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी, इसलिए रंग पंचमी के दिन श्रीकृष्ण के साथ राधा जी की भी विशेष पूजा की जाती है और उन्हें मंदिरों में पूजा, भजन-कीर्तन के साथ रंग-गुलाल चढ़ाने की परंपरा है। इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को रंग अर्पित किया जाता है। कई राज्यों में रंग पंचमी के दिन जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें हुरियारे अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। इस बार यह पर्व 12 मार्च, रविवार को मनेगा।
रंग पंचमी का महत्व
आपको बता दे, इस दिन उपयोग किए जाने वाले गुलाल से व्यक्ति के सात्विक गुणों में वृद्धि होती है। इसके साथ ही व्यक्ति के दुर्गुणों का नाश होता है। इसलिए इस दिन शरीर पर अबीर-गुलाल के रंग बिखेरे जाते है। दोस्तों और संबंधियों को गुलाल से रंगा जाता है।
रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने जब उनके तप में विघ्न डालने के कारण कामदेव को भस्म कर दिया था। तब इस कारण से देवलोक में सब दुखी थे, लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवन दान दिया। इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और इसी खुशी में रंगोत्सव मनाने लगे। इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंग पंचमी पर्व मनाया जाने लगा।also read : Chaitra navratri 2023 : इस बार पचक में शुरू चैत्र नवरात्रि,जानिए शुभ मुहर्त और पूजा विधि