इस दिन है फाल्गुन मास का दूसरा प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

 
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हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत की अलग अलग मान्यताएं मानी जाती है। कहा जाता है इस व्रत को करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। यह व्रत हर महीने में 2 बार आता है। इन दिनों फाल्गुन का महीना चल रहा है और जल्द ही फाल्गुन मास का दूसरा प्रदोष व्रत मनाया जाने वाले है। शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। यह फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदिशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। आइए जानते है इस व्रत का सही मुहूर्त और पूजा विधि। 

शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदिषी तिथि 4 मार्च, शनिवार सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और तिथि की समाप्ति अगले दिन 5 मार्च, रविवार दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होने वाली है। इस चलते 4 मार्च के दिन ही शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। 
पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 4 मार्च की शाम 6 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ हो रहा है जो रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है। इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष लाभ भक्तों को मिल सकता है। 
शनि प्रदोष व्रत के दिन शिववास है और रुद्राभिषेक का योग बन रहा है। इस प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ का वास सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर कैलाश पर्वत पर होने वाला है। इसके बाद वे वास नदी में रहेंगे। इन दोनों ही स्थितियों में रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। 

इस तरह करे भगवान शिव की पूजा 
शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठने के बाद में स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनना अशुभ होता है। इसके बाद में व्रत का संकल्प लिया जाता है। पूजा करने से पहले मंदिर को अच्छे से साफ कर ले और भोलेनाथ की पुरे विधि विधान के साथ में पूजा करे। उन्हें भोग लगाए। और इस दिन जा के बाद किसी तरह का अन्न ग्रहण ना करें। also read : 
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