आज भाद्रपद अमावस्या के दिन देवी-देवताओं के साथ में पितरों का ध्यान, सभी पापों से मिलती है मुक्ति

गुरूवार 14 सितम्बर और शुक्रवार के दिन भाद्रपद की आमवस्या तिथि है। तिथियों के घटने और बढ़ने की वजह से इस बार दो तिथि है इसे कुशग्रहणी आमवस्या कहा जाता है क्योकि इस दिन पूरी साल के लिए कुश घास को इकट्ठा किया जाता है और इसके बाद में पूजा पाठ में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको इस आमवस्या से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातें बता रहे है तो आइए जानते है।
आपको बता दे, अमावस्या के दिन देवी-देवताओं के साथ में पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि शुभ काम जरूर करें। सुबह देवी-देवताओं की पूजा करें, दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान और और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। इस दिन सुबह जल्दी उठें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। लोटे में पानी के साथ फूल और चावल भी जरूर डालें।
दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
आमवस्या के दिन दोपहर के समय गाय के गोबर से बने कंडे या अंगारो से पितरों का भोग लगाए और घर परिवार और कुटुंब के मर्त सदस्यों को पितृ कहा जाता है। भोग लगाने के बाद में हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों का ध्यान करते हुए जमीन पर छोड़ दें। इसके बाद गाय को रोटी या हरी घास खिलाएं। और गरीब लोगो को भोजन आदि करवाए।
शाम को तुलसी के पास जलाएं दीपक
सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। ध्यान रखें शाम को तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। दीपक जलाकर तुलसी की परिक्रमा करें। also read : कल अमावस्या पर करे भगवान विष्णु - लक्ष्मी का अभिषेक,जानिए पूजा विधि के बारे में