AC Temperature Govt Decision : भारत में अब एयर कंडीशनर (AC) के इस्तेमाल को लेकर एक बड़ा बदलाव आने वाला है। अब आप अपने घर, ऑफिस या मॉल में एसी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम और 28 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा नहीं रख पाएंगे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को इस नए नियम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जो लोग 16-18 डिग्री पर ‘चिल्ड एसी’ चलाने के आदी हैं, उन्हें अब अपनी आदत बदलनी होगी।
एसी के तापमान पर सरकार की नई सख्ती
केंद्र सरकार ने एयर कंडीशनर के तापमान को लेकर एक नया नियम लागू करने की घोषणा की है, जिससे अब AC को 20°C से नीचे या 28°C से ऊपर चलाना संभव नहीं होगा। यह कदम बिजली की खपत में कमी और पर्यावरण संरक्षण के मकसद से उठाया गया है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस दिशा में ट्रायल गाइडलाइन लागू करने की जानकारी दी।
क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला?
कम तापमान पर एसी चलाने से न केवल बिजली की बर्बादी होती है, बल्कि इससे मशीन पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे मेंटेनेंस कॉस्ट और इलेक्ट्रिसिटी बिल दोनों बढ़ जाते हैं। खट्टर ने कहा कि “हर 1 डिग्री तापमान बढ़ाने पर करीब 6 फीसदी बिजली की बचत होती है।” इससे साफ है कि ऊर्जा की बचत और बिल को घटाने के लिहाज से यह नियम काफी अहम साबित हो सकता है।
20 से 28 डिग्री के बीच रहेगा एसी का तापमान
नई गाइडलाइन के अनुसार, अब से एसी का तापमान 20°C से कम या 28°C से ज्यादा सेट करना नियमों के खिलाफ माना जाएगा। मंत्री ने बताया कि यह नियम अभी ट्रायल फेज में है, लेकिन सफल रहा तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। यह कदम देशभर में ऊर्जा कुशलता को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
मॉल, ऑफिस, होटल और घर सभी होंगे इसके दायरे में
इस नियम का प्रभाव सिर्फ घरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कार्यालयों, मॉल्स, होटल्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी इसका पालन अनिवार्य होगा। इससे जहां ऊर्जा की बचत होगी, वहीं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों से मिली प्रेरणा
मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि कई विकसित देशों में इस तरह की तापमान गाइडलाइन पहले से ही लागू है। भारत अब उनके अनुभवों से सीख लेकर यह प्रयास कर रहा है कि पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को बढ़ाया जा सके। इससे भारत के ऊर्जा उपयोग में संतुलन बनेगा।
क्या यह नियम बाध्यकारी होगा?
फिलहाल यह अनिवार्य नहीं बल्कि एक ट्रायल गाइडलाइन है। सरकार इसका प्रभाव और उपयोगिता देखेगी, जिसके बाद यह तय किया जाएगा कि इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए या नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह लॉन्ग टर्म में फायदेमंद कदम साबित हो सकता है।
आम नागरिक को कैसे करना होगा बदलाव?
जिन लोगों की आदत है कि वे एसी को 16 या 18 डिग्री पर चलाते हैं, उन्हें अब अपनी आदत बदलनी होगी। इससे सेहत पर भी बेहतर असर पड़ सकता है, क्योंकि बहुत कम तापमान पर रहने से सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यह नियम नागरिकों को स्वस्थ और ऊर्जा-संवेदनशील आदतों की ओर प्रेरित करेगा।
ऊर्जा संकट और पर्यावरण बचाने की दिशा में कदम
भारत जैसे विकासशील देश में ऊर्जा संकट एक गंभीर मुद्दा है। इस पहल से बिजली की बचत, कोयले के इस्तेमाल में कमी और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलने की संभावना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि बिजली की मांग में अचानक बढ़ोतरी से बचा जा सके।
नीति के क्रियान्वयन की प्रक्रिया
सरकार फिलहाल इस नियम को फेज वाइज लागू करने की योजना बना रही है। शुरुआती चरण में सरकारी दफ्तरों और बड़े संस्थानों में इसे लागू किया जा सकता है। इसके बाद आम नागरिकों के लिए भी व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
नतीजा: ऊर्जा संरक्षण की दिशा में ठोस पहल
सरकार का यह निर्णय एक लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है ऊर्जा कुशल व्यवहार को बढ़ावा देना, बिजली की बचत करना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना। यदि नागरिक इस बदलाव को अपनाते हैं, तो यह न केवल उनके बिजली बिल में राहत देगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी पर्यावरण की नींव भी रखेगा।
