अक्सर ये माना जाता है को निमोनिया जैसी बीमारी ठंड के मौसम में होती है।इंसान हो या पशु सभी में निमोनिया की वजह सर्दी को माना जाता है।लेकिन अगर केंद्रीय बकरी संस्थान के साइंटिस्ट की माने तो गर्मी जैसे मौसम में भी बकरी के बच्चो को निमोनिया हो जाता है।कई बार इसी निमोनिया के कारण बकरि की मोत तक हो जाती है।ऐसे में जरुरी है की गर्मी का मौसम शुरू होते है बकरी पालक बकरियों के आवास में परिवर्तन करना शुरू कर दे।सभी पशुओ में बकरी एक ऐसा पशु है जो गर्मियों में बहुत ही कुल रहता है।गर्मी के कारण दूसरे पशुओ का दूध उत्पन कम हो जाता है लेकन बकरी के दुहड़ उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।बकरियों के छोटे बच्चो को ज्यादा गर्मी और ठड नुकसान पहुँचाती है।
बकरी का बच्चा ऐसे आता है निमोनिया की चपेट में
जब मौसम परिवर्तन होता है तो अचानक से होता है।अगर गर्मिया शुरू होती है और तापमान अचानक तेजी से साथ बढ़ता है।ऐसे में मौसम में खासतौर पर बकरी के बच्चे अपने को उस मौसम में नहीं ढाल पाते है जिसकी वजह से वो निमोनिया की चपेट में आ जाते है।निमोनिया शुरू होते ही उन्हें बुखार आने लगता है,नाक बहती है और सास लेने में समस्या होती है।ऐसे में इन लक्षण के दिखाई देने पर डॉक्टर की सलाह ले।
ऐसे करे निमोनिया से बचाव
गर्मी के इस मौसम में निमोनिया से बचाव के लिए टिप्स देते हुए कहा की गर्मी शुरू होते है सबसे पहले तो बकरी पालन को बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए। बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दे की उसमे गर्म हवाए आसानी से नहीं आए।इसके अलावा ध्यान रखे की दोपहर तक बकरियों और उनके बच्चो को चराने न ले जाए।सुबह और शाम में ही बकरियों को चराने ले जाए।पानी खूब पिलाए।ध्यान रखे की मौसम के चलते पानी गर्म नहीं हो।गर्मी के मौसम में बकरियों के चरने के वक्त में कमी आ जाती है तो उन्हें शेड में ही भरपूर चारा दे।इस दौरान बकरियों और उनके बच्चो को पूरा नटूट्रिशन दे।