Agricultural Land Tax: कई लोग अपनी खेती की ज़मीन को बेचने का विचार करते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही होता है—क्या इस पर टैक्स देना पड़ेगा? इस सवाल का जवाब एकदम सीधा नहीं है. क्योंकि यह ज़मीन की लोकेशन और उपयोग पर निर्भर करता है. इनकम टैक्स कानून के अनुसार ग्रामीण और शहरी कृषि भूमि के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं.
ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि बेचने पर नहीं देना होता टैक्स
अगर आपकी ज़मीन ग्रामीण इलाके में स्थित है और उसका उपयोग खेती के लिए हो रहा था, तो उसे कैपिटल एसेट की श्रेणी में नहीं रखा जाता. इसका मतलब यह है कि ऐसी ज़मीन की बिक्री पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता.
हालांकि इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं:
- ज़मीन नगरपालिका या नगर निगम की सीमा से कम से कम 2 किलोमीटर दूर होनी चाहिए.
- व्यवहारिक रूप से उस पर खेती की गई हो.
अगर इन शर्तों को पूरा नहीं किया गया, तो ज़मीन को पूंजीगत संपत्ति माना जाएगा और उस पर टैक्स देना पड़ सकता है.
विशेषज्ञ की राय
विवेक जालान टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज LLP के पार्टनर बताते हैं कि “ग्रामीण कृषि भूमि को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 45 के तहत कैपिटल एसेट नहीं माना जाता.” इसका मतलब है कि इससे होने वाला लाभ धारा 10(1) के अंतर्गत टैक्स-फ्री होता है.
हालांकि इसे ITR में Schedule EI (Exempt Income) के अंतर्गत दिखाना जरूरी होता है. साथ ही यह भी देखा जाता है कि ज़मीन वास्तव में खेती के लिए उपयोग की जा रही थी या नहीं. अगर उसका उपयोग रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट या प्लॉटिंग के लिए हो रहा है, तो उस पर टैक्स छूट लागू नहीं होगी.
शहरी क्षेत्र की कृषि भूमि पर टैक्स नियम
अगर आपकी कृषि भूमि नगरपालिका, नगर परिषद या नगर निगम की सीमा में आती है, तो वह शहरी कृषि भूमि मानी जाती है. ऐसी ज़मीन कैपिटल एसेट के अंतर्गत आती है. इसलिए उसकी बिक्री पर होने वाले लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है.
दो साल से ज्यादा रखी गई ज़मीन पर कितना टैक्स?
टैक्स विशेषज्ञ सीए शेफाली मुंद्रा के अनुसार अगर शहरी कृषि ज़मीन को दो साल से अधिक समय तक रखा गया है, तो उस पर होने वाला लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा.
2024 के बजट संशोधन के अनुसार:
- बिना इंडेक्सेशन: 12.5% टैक्स
- इंडेक्सेशन के साथ (23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर विकल्प): 20% टैक्स
अगर ज़मीन दो साल या उससे कम समय के लिए रखी गई हो, तो लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) होगा और उस पर टैक्स आयकर स्लैब के अनुसार लगेगा.
किन परिस्थितियों में मिल सकती है टैक्स छूट?
शहरी क्षेत्र में खेती की ज़मीन बेचने पर भी कुछ मामलों में टैक्स छूट मिल सकती है. धारा 54B के तहत, अगर जमीन बेचने से मिले पैसे से दो साल के भीतर दूसरी कृषि भूमि खरीदी जाती है, तो टैक्स छूट मिल सकती है.
इसके अलावा:
- धारा 54F भी कुछ खास स्थितियों में टैक्स छूट देती है.
- धारा 54EC के तहत लाभ को NHAI या REC जैसे सरकारी बॉन्ड्स में 6 महीने के भीतर निवेश करने पर छूट मिलती है (अधिकतम ₹50 लाख तक).