खेत को जैविक तरीके से उपजाऊ बनाना चाहते हैं तो चलिए एक ऐसी फसल बताते हैं जिससे खेत में खाद अपने आप बन जाएगी-
खेत बनेगा खाद की फैक्ट्री
फसल के अच्छे विकास के लिए किसानों को खेत में खाद डालना पड़ता है। लेकिन कुछ ऐसी फसल है जिन्हें खेत में लगा देने से ही खाद बनने लगती है, मिट्टी उपजाऊ हो जाती है, फिर आप जो भी फसल खेत में लगाएंगे उससे अच्छा उत्पादन मिलेगा। जिसमें यहां पर आपको 40 दिन के लिए खेत में एक फसल लगानी होगी। उससे क्या होगा की मिट्टी उपजाऊ होगी, नाइट्रोजन की पूर्ति हो जाएगी, ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ेगा, वायु संचरण अच्छे से होने लगेगा, पीएच मेंटेन रहेगा, यूरिया की पूर्ति हो जाएगी, एक तरह से खेत यूरिया की फैक्ट्री बन जाएगा, तो चलिए बताते हैं यह कौन सी फसल है।
इस हरी फसल को खेत में लगाएं
दरअसल, यहां पर हरी खाद ढैंचा कि बात की जा रही है। जिसमें खेत में अगर ढैंचा बो देते हैं तो मिट्टी की उर्वरता में सुधार होगा, खरपतवार भी नियंत्रित होगी, रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हो जाएगी, खेत की मिट्टी इतनी उपजाऊ होगी कि आपको दोबारा खाद नहीं डालना पड़ेगा, अगर डालते भी है तो बहुत कम मात्रा में डालना पड़ेगा। साथ ही जलधारण की क्षमता भी बढ़ जाएगी। बरसात में समस्या कम आएगी, कम सिंचाई में भी बढ़िया उत्पादन किसान भाई ले पाएंगे।
1 एकड़ में कितना लगेगा बीज
ढैंचा की फसल 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बाद खेत में ढैंचा की फसल को दबा दिया जाता है, और उसके बाद दूसरी फसल की खेती की जाती है। एक एकड़ में ढैंचा लगा रहे तो 10 से 20 किलो बीज लगते हैं। वह बुवाई के तरीके पर निर्भर करता है, किस तरीके से बो रहे हैं उस हिसाब से ज्यादा या कम बीज भी लग सकते हैं। बीज उत्पादन के लिए ढैंचा की खेती कर रहे हैं तो 8 से 10 किलो ही बीज लगता है। ज्यादातर किसान मई-जून या फिर सितंबर-अक्टूबर में ढैंचा की खेती करते हैं जैसे कि आप कोई फसल लगाने जा रहे हैं तो उसके 1 महीने पहले उस खेत में ढैंचा लगा सकते हैं।