Allahabad High Court : नोएडा में एक परिवार का 30 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को लेकर विवाद अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। यह मामला एक मृतक के बेटे और एक महिला के बीच है। महिला खुद को मृतक की दूसरी पत्नी होने का दावा कर रही है, जबकि बेटा उसे अपनी मां मानने से इनकार कर रहा है-
नोएडा में एक परिवार का 30 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को लेकर विवाद अब कानूनी लड़ाई में बदल गया है। यह मामला एक मृतक के बेटे और एक महिला के बीच है। महिला खुद को मृतक की दूसरी पत्नी होने का दावा कर रही है, जबकि बेटा उसे अपनी मां मानने से इनकार कर रहा है। यह विवाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जहां दोनों पक्ष संपत्ति पर अपना-अपना अधिकार जता रहे हैं।
दरअसल महिला ने कोर्ट में दावा किया है कि वह मृतक की दूसरी पत्नी है और उसकी संपत्ति में हिस्सा चाहती है। उसने बताया कि मृतक की पहली पत्नी के निधन के बाद उसने 2011 में हिंदू रीति-रिवाजों (Hindu rituals) से मृतक से शादी की थी। हालांकि, शादी के तीन साल बाद ही उसके पति का निधन हो गया। अब जब संपत्ति का बंटवारा हो रहा है, तो उसके दावे पर विवाद हो गया है।
महिला को मां मानने से इनकार किया-
उधर मृतक के बेटे ने उस महिला को अपनी मां मानने से इनकार कर दिया है, कोर्ट में कहा कि वह घर में काम करने वाली नौकरानी थी। मृतक की संपत्ति पर अधिकार (rights to property of the deceased) के लिए महिला ने खुद को उसकी पत्नी बताते हुए कोर्ट में केस दर्ज कराया। 17 सितंबर 2022 को सिविल कोर्ट ने यह मुकदमा यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विवाह की वैधता और वैवाहिक स्थिति तय करने का अधिकार सिर्फ पारिवारिक न्यायालय को है।
मुकदमा खारिज करना गलत-
इसके खिलाफ महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट का तर्क क्षेत्राधिकार के लिहाज से सही था, लेकिन मुकदमा पूरी तरह खारिज करना गलत था। कोर्ट ने कहा कि वाद को खारिज करने के बजाय महिला को यह विकल्प दिया जाना चाहिए था कि वह मामला सक्षम पारिवारिक न्यायालय में दाखिल कर सके।
हाईकोर्ट ने महिला की अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि यह मामला अब गौतमबुद्ध नगर पारिवारिक न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए। वहां तय होगा कि महिला वास्तव में मृतक की पत्नी थीं या नहीं।