इस पौधे में पाया जाने वाला दूध को आयुर्वेद में लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है. आक के पेड़ के पत्ते त्वचा, हड्डियों और पेट से जुड़ी सभी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने में काफी कारगर साबित होते हैं.
सावन का महीना भोलेनाथ की भक्ति का माना जाता है. इस महीने में भक्त अपने महादेव को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करते हैं.धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व है. इसके औषधीय गुणों के कारण यह दाद, खुजली जैसे त्वचा रोगों और एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है.
इस पौधे में पाया जाने वाला दूध को आयुर्वेद में लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है. आक के पेड़ के पत्ते त्वचा, हड्डियों और पेट से जुड़ी सभी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने में काफी कारगर साबित होते हैं.
इसके लिए आक के पत्तों को हल्का गर्म करके सरसों के तेल में भिगोकर लगाने से वर्षों से चले आ रहे गठिया और जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है. इतना ही नहीं, यह सांप और बिच्छू के जहर पर भी काफी कारगर साबित होता है. लेकिन इसके प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक माना जाता है.
इसके लिए कोई मीलों दूर से कांवड़ लेकर चलता है और नीलकंठ का जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करता है,तो कोई पूजा के दौरान उनकी प्रिय चीज चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न करना चाहता है.
महादेव की पूजा के दौरान भांग, बेलपत्र, चंदन, अक्षत, धतूरा, अर्क समेत कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जो शिव को बेहद प्रिय हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी दमकती त्वचा का राज भी इन्हीं में से एक सामग्री में छिपा है. तो आइए जानते हैं कौन सी है वो चीज जो जटाधारी को बेहद प्रिय है और उनके भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
भोलेनाथ की पूजन सामग्री में इस्तेमाल होने वाला आक का पौधा सिर्फ धार्मिक आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण भी छिपे हैं जो इसके कई चमत्कारी लाभों के बारे में बताते हैं.
आक के पौधे को हिंदी में मदार, अकौआ या अकवन भी कहते हैं. शिव का यह प्रिय पौधा होने के साथ ही इसकी ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर आक के पत्ते और फूल चढ़ाने से भोलेनाथ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसीलिए इसे शिव का ‘प्रिय वृक्ष’ कहा जाता है और सावन के सोमवार को इसके पत्तों से पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
हालांकि आक औषधीय गुणों से भरपूर है, लेकिन इसका उपयोग बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी प्रकृति विषैली भी मानी जाती है. गलत मात्रा या प्रयोग से यह हानिकारक भी हो सकता है.