Bhimashankar Jyotirlinga Yatra
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में
महाराष्ट्र में स्थित तीन ज्योतिर्लिंग में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, पुणे से लगभग 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थान है। सहाद्रि नामक पर्वत की हरि-भरी वादियों से घिरा यह भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शंकर के 12 दर्शनीय ज्योतिर्लिंगों में छटवें स्थान पर है। भीमा नदी के उद्गम स्थल पर शिराधन गांव में स्थित इस मंदिर का शिवलिंग मोटा होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग अमोघ है, इसके दर्शन का फल सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है। मराठा राज्य के महाराज छत्रपति शिवाजी यहाँ कई बार पूजन करने आते थे। इस मंदिर का निर्माण उन्ही के द्वारा करवाया गया है। यहां के जंगल को वन्य जीवों के लिए संरक्षित किया गया है। जहाँ आप कई तरह के वन्य जीव जंतु, शेकरु नाम का एक दुर्लभ जानवर, सुंदर पक्षी एवं वनस्पतियाँ देख सकते हैं।
भीमाशंकर कैसे जाएँ?
आप फ्लाइट, ट्रेन तथा बस में से किसी भी साधन के द्वारा पुणे पहुँच सकते है पुणे पहुंचकर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाना अत्यंत सरल और सुगम है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग फ्लाइट से कैसे पहुँचे?
भीमशंकर में कोई भी एयरपोर्ट नही हैं। भीमाशंकर का सबसे निकट पुणे एयरपोर्ट है। पुणे एयरपोर्ट से आप बस टैक्सी या कैब के माध्यम से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते हैं।
रेल द्वारा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुँचे?
भीमाशंकर के निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे, भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों के साथ जुड़ा हुआ है। पुणे में दो रेलवे स्टेशन है पुणे जंक्शन और शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन। आपको शिवाजी नगर रेलवे स्टेशन उतरना है क्योकि पुणे जंक्शन से शिवाजीनगर बस स्टैंड 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिवाजीनगर बस स्टैंड से बस या टैक्सी से भीमाशंकर आसानी से पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से भीमाशंकर कैसे पहुंचे?
हर आधे घंटे में नियमित रूप से शिवाजीनगर पुणे बस स्टैंड से भीमाशंकर के लिए MSRTC की बसे चलती है। बस द्वारा लगभग 4 घंटे के सफ़र से आप भीमा शंकर पहुँच जायेंगे। बस का किराया 180 रूपये है।
नाशिक से भीमाशंकर कैसे पहुंचे?
नाशिक से भीमाशंकर 205 किलोमीटर दूर स्थित है। पुणे जाने के लिए नासिक रोड से सुबह 5 बजे ट्रेन नंबर 11025 भुसावल – पुणे एक्सप्रेस चलती है और पुणे में दोपहर 12 बजे तक पहुँचती है। बस द्वारा भीमाशंकर जाने के लिए नाशिक से नारायण गांव तक बस से जाना पड़ेगा, उसके बाद नारायण गांव से डायरेक्ट बस भीमाशंकर के लिए मिलती है।
शिरडी से भीमाशंकर कैसे पहुंचे?
शिरडी से 16 किलोमीटर दूर कोपरगाव रेलवे स्टेशन से पुणे के लिए कुल 35 ट्रेने चलती है। शिरडी से सीधे भीमाशंकर के लिए पहले मंचर या घोडेगाव तक बस से जाना होगा, फिर मंचर से भीमाशंकर के लिए बस मिल जाती है। मंचर से भीमाशंकर 60 किलोमीटर दूर है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कब जाना चाहिए?
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए तो हर समय उपयुक्त है, पर यात्रा करने का सबसे उचित समय अक्टूबर से फरवरी माह के मध्य का होता है। इन दिनों भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दृश्य अलौकिक और सह्याद्री पर्वत का वातावरण सुहाना होता है। बरसात के बाद हर तरफ हरियाली छा जाती है। हलकी ठण्ड में सफ़र करने का अलग ही मजा होता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए कहाँ रुके?
सुबह पुणे से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन करके शाम तक आप वापस आ सकते है पर यदि मंदिर में दर्शन के बाद, आप यहाँ से निकट के दर्शनीय स्थल घूमने के लिए रुकना चाहते है। तो मंदिर के आस पास 400 से 700 रूपये तक रूम किराये पर मिल जायेंगे। मंदिर से कुछ दूर अच्छे होटल और रिसोर्ट भी उपलब्ध है। अभी मंदिर के भक्त निवास का काम चल रहा है, जो अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा
राक्षसराज रावण के भाई कुंभकर्ण की पत्नी कर्कटी लंका में न रहकर एक पर्वत पर रहती थी। कुम्भकर्ण और कर्कटी का एक पुत्र था, जिसका नाम भीम था। भगवान राम ने जब कुंभकर्ण का वध किया, तब भीम छोटा बालक था। कर्कटी ने भीम को कुंभकर्ण वध का बदला लेने के लिए बलवान बनाने का प्रण किया। समय बीतने पर जब भीम जवान हो गया, तब कर्कटी ने भीम को उसके पिता कुम्भकर्ण की मृत्यु के बारे में बताया। भीम क्रोधित हो उठा और उसने अपने पिता के वध का बदला लेने के लिए वन ने जाकर भगवान ब्रम्हा जी की कठिन तपस्या की। भीम के कठोर तप से प्रसन्न होकर ब्रम्हदेव ने उसे बहुत शक्तिशाली होने का वर दिया। वरदान पाकर भीम बहुत शक्तिशाली हो चूका था, उसने देव लोक पर आक्रमण करके देवताओं को हरा दिया और देवलोक पर अधिकार कर लिया।
महाबलशाली भीम के अत्याचारों से वेद, पुराण, शास्त्र का लोप होने लगा। यज्ञ, दान, तप और धार्मिक अनुष्ठान बंद हो गये। सभी मानव, जीव, जंतु और ऋषि मुनि त्रस्त होने लगे। उस समय राजा सुदक्षिण कामरूप देश के राजा थे, वे परम शिव भक्त थे। भीम ने कामरूप देश पर भी आक्रमण किया और राजा सुदक्षिण को युद्ध में पराजित करके बंदी बना कर कारागार में डाल दिया। सभी देवतागण और ऋषि मुनि भगवान शिव के पास गये और भीम के अत्याचारों से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने कहा भीं मेरे भक्त सुदक्षिण को भी बंदी बना लिया है, अब जल्दी ही उसका का संहार होगा। राजा सुदक्षिण ने कारागार में शिवलिंग की स्थापना करके विधि पूर्वक पूजन पाठ शुरू कर दिया, उसकी नित्य शिव आराधना से प्रेरित होकर अन्य बंदी भी शिव भक्ति करने लगे।
भीम को जब राजा सुदक्षिण के पूजन का पता चला, तब वह क्रोधित होकर को कारागार में राजा सुदक्षिण को मरने पहुँचा। कारागार में राजा सुदक्षिण शिवलिंग के सामने पूजन कर रहे थे। भीम ने पार्थिव शिवलिंग पर तलवार से प्रहार किया, उसकी तलवार शिवलिंग को छू भी नही पाई और उस शिवलिंग से शिवजी प्रकट हो गए। भगवान शिव ने केवल हुँकार से भीम को जलाकर भस्म कर दिया। भीम के वध के पश्चात् सभी देवता गण और ऋषि मुनियों ने भगवान भोलेनाथ से कहा कि आप लोक कल्याण के लिए हमेशा के लिए यहाँ निवास करें। भगवान शिवजी सभी पर कृपा करने के लिए उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। यही शिवलिंग भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जगत प्रसिद्ध हुआ।
Bhimashankar Temple Timings
भीमाशंकर मंदिर में आरती और अन्य अनुष्ठान की समय सारणी
मंदिर खुलने का समय – सुबह 4:30 बजे
मंगल आरती – सुबह 4:45 से 5.00 बजे
निजारुप (मूल शिवलिंग) का दर्शन – सुबह 5:00 बजे से 5.30 बजे तक
सामान्य दर्शन और अभिषेक – सुबह 5:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक
नैवेद्य पूजा – दोपहर 12.00 बजे से 12.30 बजे तक (इस समय अभिषेक नहीं किया जाता है)
मध्यान्ह आरती – दोपहर 3:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक
श्रृंगार दर्शन – दोपहर 3:30 से रात 9:30 तक
संध्या आरती – शाम 7:30 से 8:00 बजे तक
मंदिर बंद – रात्रि 9.30
नोट :- मदिर में सोमवार के प्रदोषम, अमावस्या, ग्रहण, महाशिवरात्रि के दौरान दर्शन नहीं कराये जाते। कार्तिक और श्रवण महीने के दौरान मुकुट और श्रृंगार दर्शन नहीं कराये जाते
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन
हरियाली भरे रास्ते से गुजरते हुए, खूबसूरत पहाड़ियों के सौन्दर्य का लुफ्त उठाते आपको पता ही नही चलेगा की कब भीमा शंकर आ गया। भीमाशंकर पहुचने बाद आपको मंदिर कहीं भी दिखाई नही देगा। मंदिर जाने के लिए प्रवेशद्वार से 250 सीढियाँ उतरने के बाद मंदिर दिखता है। वृद्ध जनों के लिए यहाँ डोली उपलब्ध है। डोली का किराया 600 रूपये है, सीजन के दौरान यह 1300 रूपये तक हो जाता है। मंदिर के रास्ते में कई दुकानों आती है, जिनसे आप फूल प्रसाद आदि खरीद सकते है।
भीमेश्वर मंदिर पहुँचने पर आपको लाइन में लगना है। कई बार लोग दर्शन लाइन में गपशप करने लगते है। आप उन पर ध्यान न दे, मन ही मन में ॐ नम: शिवाय का जप करते रहे। रास्ते में आप को टीवी स्क्रीन नजर आयेगी, उसमे श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते रहें। कुछ देर आप गर्भगृह के सामने पहुँच जायेंगे। शिवलिंग को दिनभर चांदी के कवच से ढ़ाक कर रखा जाता है। सुबह 5.00-5.30 बजे यह कवच हटाया जाता है तभी आप मूल शिवलिंग का दर्शन कर पाते है। आप शिवजी के प्रतीक शिवलिंग पर अपनी नजरे जमाये रखिये, शिवलिंग को अपने मन में बसा लीजिये। बाहर आकर मंदिर का बाहर से दर्शन करें। भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बना है। यह शैली नई और पुरनी दोनों का सह-मिश्रण हैं।
भीमाशंकर मंदिर के घंटे की विशेषता
मंदिर के सामने एक खूबसूरत विशाल घंटा लगा हुई हैं। ये घंटा महान हिंदू पराक्रम का प्रतीक है मराठा इतिहास के अनुसार, अद्भुत दिखने वाला ये घंटा पुर्तगालियों के चर्च का है। बालाजी विश्वनाथ के बेटे और बाजीराव के छोटे भाई वीर चिमाजी बसाई के किले में पुर्तगालियों को पराजित करके वहाँ के चर्च से यह घंटा लाये थे। इस घंटे में जीसस के साथ मदर मैरी की मूर्ति बनी है और 1727 लिखा हुआ है। इस घंटे को महाराष्ट्र में पेशवाओं के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फड़नविस ने लगवाया था और सभामंडप और शिखर बनवाकर मंदिर को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के निकट दर्शनीय स्थल
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके आप यहां के कई दर्शनीय पर्यटन स्थल का भ्रमण कर सकते हैं। इन स्थलों में गुप्त भीमाशंकर, हनुमान झील, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी पॉइंट, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक मंदिर और भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य प्रमुख है। तो आइयें, हम आपको इन स्थलों की जानकारी एक-एक करके देते हैं।
गुप्त भीमाशंकर मंदिर
भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग से लगभग 3 किमी दूर गुप्त भीमाशंकर मंदिर है। भीमा नदी के उद्गम स्थल के पास यह वही स्थान हैं, जहां मूल शिवलिंग की खोज हुई थी। पहाड़ों से पानी बहता हुआ नीचे आता है और झरने का रूप लेकर शिवलिंग पर गिरता है। इस मनोहारी द्रश्य को देखकर मन आनंद से भर जाता है। बरसात के मौसम में शिवलिंग दिखाई नहीं देता है, गर्मी में जब पानी सूख जाता है, तब शिवलिंग के दर्शन होते है।
भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा के दौरान भीमाशंकर वन्यजीव अभ्यारण्य अवश्य देखना चाहिए। यह अभ्यारण हरी भरी सह्यादी श्रेणियों में 100 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस वन चारों ओर हरे भरे वृक्ष, कल कल बहते झरने, शीतल हवा, आपका मन मोह लेते है। यहाँ सभी वन्य जीव अपने प्राक्रतिक आवास में रहते है। इस अभ्यारण्य में कुछ विलुप्त प्राय प्रजातियाँ जैसे शेकरू और बड़ी भारतीय गिलहरी (जाइन्ट इंडियन स्किरल) आदि का विशेष ध्यान रखा जाता है। इनके अलावा उड़ने वाली गिलहरी, चीता, हायना (लकडबग्घा), बार्किंग हिरन, प्रक्युपाइन (साही), जंगली सूअर और कुछ अन्य प्राणी पाए जाते है। यहाँ पर निश्चित ही हरा कबूतर, मलाबार व्हिस्लिंग थ्रश (सीटी बजाने वाली चिड़िया), मलाबार ग्रे हॉर्नबिल, क्वेकर बक, और ग्रे जंगल मुर्गी आदि कई पक्षी आपको प्रसन्न कर देंगे। यहाँ पर कई प्रकार की वनस्पति और चमत्कारी प्रभाव वाली जड़ी बूटियों से लेकर पौधे तथा वृक्ष पाए जाते हैं।
हनुमान झील भीमाशंकर
भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग से कुछ दूरी पर हनुमान झील बनी है। यहाँ पहुँचना थोड़ा कठिन है पर यह एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है। झील के रास्ते में कई गिलहरी और छोटे वन्यजीव देखने को मिल जायेंगे।
साक्षी विनायक मंदिर भीमाशंकर
साक्षी विनायक मंदिर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है।
बॉम्बे व्यू प्वाइंट भीमाशंकर
प्रकृति की सुन्दर छटा देखने के लिए भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से कुछ दूर बॉम्बे व्यू प्वाइंट है। यहाँ पहाड़ की ऊंचाई से हरे भरे जंगलों का सुन्दर द्रश्य दिखाई देता है।
नागफणी पॉईंट भीमाशंकर
भीमाशंकर के निकट नागफणी पॉईंट घने जंगल से घिरा हुआ रमणीय स्थान हैं। इस रास्ते पर चलते हुए आप कई प्रकार के पौधो और जीव-जंतुओं की प्रजाति को देखा सकते हैं। यह स्थान साहसिक गतिविधियाँ करने के लिए बहुत उपयुक्त हैं। यहाँ से चारों तरफ देखने पर कुदरत का मनोहरी श्रंगार दिखाई देता है।