उत्तर भारत मे किसान विभिन्न किस्मों के गेहूं की खेती करते हैं। यहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलों की अच्छी उपज होती है। अब कुछ स्मार्ट किसानो के द्वारा काले गेहूं की खेती भी शुरू की गई है, जो किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है। इस काले गेहूं को ‘काला सोना’ के नाम से भी जाना जाता है, जो इसकी महत्वता और लाभकारी गुणों को दर्शाता है।
बाजार मे काले गेहूं की कीमत दोगुनी
इन दिनों काले गेहूं के उत्पादन की मांग तेजी से बढ़ रही है। किसानों को इस फसल की अच्छी कीमत मिल रही है, जिससे किसान इस काले सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कुछ जिलों के किसान इस काले गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। यह गेहूं अपने औषधीय गुणों के कारण बाजार में लोगों की पसंद बन गया है। जहां सामान्य गेहूं की कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है, वहीं काले गेहूं की कीमत 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक है।
काले गेहूं के औषधीय गुण
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि काले गेहूं में पिगमेंट की मात्रा अधिक होती है, जो इसे औषधीय गुण प्रदान करती है। यह इम्युनिटी बढ़ाने में प्रभावी होता है और हृदय रोग, डायबिटीज, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसके बायोफर्टिफाइड होने के कारण इसमें पोषक तत्व की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे यह सेहत के लिए फायदेमंद है।
काले गेहूं की खेती करने का तरीका
काले गेहूं की खेती रबी के मौसम में, यानी अक्टूबर-नवंबर के महीने में की जाती है। काले गेहूं की खेती रबी के मौसम में की जाती है, जो अक्टूबर-नवंबर के महीने में शुरू होती है।इस खेती की एक खास बात यह है कि इसमें लागत कम लगती है और सामान्य गेहूं की तुलना में इसकी कीमत चार गुना अधिक मिलती है। इसलिए इसकी बुवाई से पहले मिट्टी की नमी पर ध्यान देना जरूरी है। काले गेहूं की खेती की एक विशेषता यह है कि यह सामान्य गेहूं की तुलना में 15-20% अधिक उपज देने में सक्षम है, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा मिलता है।
बुवाई से पहले खेत की तैयारी
काले गेहूं की बुवाई से पहले खेत की अच्छे से जुताई और समतल करना महत्वपूर्ण है। खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि फसल को नमी की सही मात्रा मिल सके। बुवाई से पहले, खेत को धान की पराली या हरी खाद डालकर उर्वरकता बढ़ाई जा सकती है। मिट्टी की जाँच कर, उसके पोषक तत्वों के आधार पर सही मात्रा में उर्वरक डालना चाहिए।
काले गेहूं की सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
काले गेहूं की बुवाई के समय प्रति एकड़ 60 किलो डीएपी, 30 किलो यूरिया, 20 किलो पोटाश, और 10 किलो जिंक का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है। बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए, और इस समय प्रति एकड़ 60 किलो यूरिया का उपयोग करना फायदेमंद होता है। इसके बाद, मिट्टी की नमी के आधार पर समय-समय पर सिंचाई करते रहें। जब बालियां निकलने का समय आए, तो सिंचाई करना बेहद आवश्यक होता है ताकि फसल की वृद्धि और उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सके।
काले गेहूं की खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकती है, खासकर उन किसानों के लिए जो लागत में कमी और अधिक लाभ कमाना चाहते हैं।
नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से जुटाई गई है। किसी भी जानकारी को प्रयोग में लाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से सलाह जरूर ले लें