India-Pak तनाव के बीच ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) ने ऐसा कहर बरपाया कि दुश्मन की नींद उड़ गई। पाकिस्तान का एडवांस डिफेंस सिस्टम भी इस अटैक में फेल हो गया। जानिए कैसे भारत की ये सुपरसोनिक मिसाइल बनी दुनिया की सबसे घातक हथियार प्रणाली और क्यों अब पूरी दुनिया कर रही है इसकी ताकत का लोहा स्वीकार
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) एक बार फिर वैश्विक चर्चा का केंद्र बन गई है। इस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ने न केवल पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली को चुनौती दी, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक बढ़त को भी उजागर किया।
ब्रह्मोस: भारत की सुपरसोनिक ताकत
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है। यह मिसाइल 290 किमी से लेकर 800 किमी तक की दूरी तय कर सकती है और इसकी गति मैक 2.8 से 3.0 तक है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक बनाती है। इसकी उच्च गति और सटीकता के कारण इसे इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन है।
ऑपरेशन सिंदूर: ब्रह्मोस की निर्णायक भूमिका
मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में ब्रह्मोस मिसाइलों का प्रमुख उपयोग किया गया, जिससे पाकिस्तान के एयरबेस और निगरानी प्रणालियों को भारी नुकसान पहुँचा। पाकिस्तान के पूर्व एयर मार्शल मसूद अख्तर ने स्वीकार किया कि इन हमलों में उनका एक महत्वपूर्ण AWACS विमान नष्ट हो गया।
पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की विफलता
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पाकिस्तान की चीन से प्राप्त एयर डिफेंस प्रणाली इन हमलों के दौरान निष्क्रिय रही, जिससे ब्रह्मोस मिसाइलों को बिना किसी रुकावट के अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सफलता मिली। यह घटना पाकिस्तान की रक्षा तैयारियों और चीन निर्मित सैन्य उपकरणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है।
ब्रह्मोस की बहु-प्रक्षेपण क्षमता
ब्रह्मोस मिसाइल को भूमि, समुद्र, वायु और पनडुब्बी जैसे विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च किया जा सकता है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI विमानों से इसे लॉन्च किया जा रहा है, और भविष्य में इसे तेजस और राफेल जैसे विमानों से भी लैस किया जा सकता है।
ब्रह्मोस-NG: अगली पीढ़ी की मिसाइल
ब्रह्मोस-NG (Next Generation) मिसाइल का विकास जारी है, जो वर्तमान ब्रह्मोस से हल्की और अधिक गतिशील होगी। इसकी रेंज 290 किमी होगी और गति मैक 3.5 तक होगी। इसका उद्देश्य हल्के लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों से लॉन्च करने की क्षमता प्रदान करना है।
वैश्विक मांग और निर्यात
ब्रह्मोस मिसाइल की प्रभावशीलता के कारण इसकी वैश्विक मांग बढ़ रही है। भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम के निर्यात के लिए समझौता किया है, और अन्य कई देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि, रूस के साथ संयुक्त उपक्रम होने के कारण कुछ निर्यात प्रतिबंध भी हैं।