Gamhar Unique Tree farming: कृषि वानिकी यानी पेड़ों की खेती किसानों के लिए नए अवसर लेकर आई है। यह न केवल उन्हें स्थायी आमदनी होती है बल्कि पर्यावरण को भी लाभ पहुँचाती है। पेड़ों की खेती से किसान अपनी जमीन पर साथ ही अन्य फसलें भी उगा सकते हैं क्योंकि पेड़ों के बीच अधिक दूरी होने की वजह से जमीन का समुचित उपयोग होता है
गम्हार के पेड़ की विशेषताएँ
गम्हार का पेड़ न केवल अपनी उच्च गुणवत्ता की लकड़ी के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी खेती से किसानों को उच्च कमाई भी होती है। इस पेड़ की लकड़ी फर्नीचर, प्लाईवुड, दरवाजे, पैनलिंग और पेंसिल बनाने के काम आती है। इस पेड़ की लकड़ी उच्च डिमांड में है और कई बार तो चंदन की लकड़ी से भी महंगी बिकती है
खेती की जलवायु और उपजाऊ मिट्टी
गम्हार के पेड़ की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी का उपजाऊ होना महत्वपूर्ण है। जहाँ पानी की सुविधा होती है और मिट्टी उपजाऊ होती है, वहाँ यह पेड़ जल्दी बढ़ता है और कम समय में अधिक ऊँचाई को प्राप्त कर लेता है। इसकी खेती सामान्य मैदानी इलाकों से लेकर उच्चतम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है
गम्हार की विभिन्न प्रजातियाँ और उनका महत्व
गम्हार का पेड़ भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसकी अनेक किस्में होती हैं। मध्य प्रदेश के मंडला, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, उमरिया और सिंगरौली जिले में इस पेड़ की खेती खासतौर से की जाती है। इन किस्मों का उपयोग विभिन्न औद्योगिक कार्यों में होता है
औषधीय गुण और उनका उपयोग
गम्हार का पेड़ न केवल लकड़ी के लिए, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण भी महत्वपूर्ण है। इसकी पत्तियों, छाल, फूल और जड़ का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यह पित्त और कफ को नियंत्रित करने में सहायक होता है (Ayurvedic treatment, health benefits).
खेती से होने वाली आमदनी के अवसर
गम्हार के पेड़ की खेती से किसानों को उच्च आमदनी हो सकती है। एक एकड़ में लगाए गए पेड़ बीस सालों में एक करोड़ रुपए तक की कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा, इसकी लकड़ी की ऊँची कीमतें भी किसानों को अधिक लाभ पहुँचाती हैं