किसी भी तरह का लोन लेने से पहले कई तरह की डॉक्यूमेंट्स की पूर्ति करते है इसके साथ ही अब लोन देने वाला बैंक या संस्था, यह पुख्ता नहीं कर लेती कि आप कर्ज चुका पाएंगे है सीके साथ ही अब तक लोन देने या नहीं देने के बारे में फैसला नहीं करती। कार लोन के लिए भी कई नियम लागू होते है इसके साथ ही कई बैंक और वित्तीय संस्था लोन देने के नाम कई तरह के डॉक्यूमेंट्स मांगती है ऐसे में यदि आप भी लोन लेना चाहते है तो आज हम आपको काम में आने वाले डॉक्यूमेंट्स बारे में बताने जा रहे है तो आइए जान लेते है।
यहां यह भी जानने लायक है कि सभी बैंकों ने ग्राहकों को दो अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया है। इन श्रेणियों में सैलरी पाने वाले व्यक्ति, और सेल्फ इम्पलायड शामिल होते हैं। सेल्फ इम्पलायड में भी फर्म या कंपनी के आधार पर अलग-अलग विभाजन किए गए हैं। तो चलिए जानते हैं सभी के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट्स के बारे में-
सैलरी वाले या सेल्फ इम्पलायड, देने होंगे 3 दस्तावेज
एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, सैलरी पाने वाले यदि लोन लेना चाहते हैं तो उन्हें 3 डॉक्यूमेंट देने होते है है पहचान और एड्रेस प्रूफ के तौर पर एक डॉक्यूमेंट चाहिए होगा। इसके लिए आप वैध पासपोर्ट, परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, NREGA द्वारा जारी किया गया जॉब कार्ड, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रर द्वारा जारी किया गया पत्र जिसमें नाम और पता दोनों लिखे हों, या आधार कार्ड प्रस्तुत कर सकते हैं। दूसरा डॉक्यूमेंट इनकम प्रूफ के लिए चाहिए होगा। इसमें आप लेटेस्ट सैलरी स्लिप और फॉर्म 16 दे सकते हैं। तीसरे डॉक्यूमेंट के तौर पर पिछले 6 महीनों की बैंक स्टेटमेंट देनी होग।
सेल्फ इम्पलायड लोगों को भी 3 ही डॉक्यूमेंट देने होते है
1- आईडी एंड एड्रेस प्रूफ के तौर पर एक डॉक्टूमेंट। इसमें सैलरी क्लास वालों की तरह सभी चीजें लगा सकते हैं,
आधार कार्ड और बाकी दो डॉक्यूमेंट सैलरी क्लास लोगों वाले ही देने होंगे।
बैंक स्टेटमेंट तो देनी ही पड़ेगी
सेल्फ इम्पलायड लोगों को भी 3 डॉक्टूमेंट देने होंगे।
- इनकम प्रूफ के तौर पर ऑडिट हो चुकी बैलेंस शीट, पिछले 2 सालों का प्रॉफिट और लॉस अकाउंट, और कंपनी की पिछले 2 सालों की आईटीआर देने होंगे.
- एड्रेस प्रूफ के तौर पर टेलीफोन बिल, इलेक्ट्रिसिटी बिल, शॉप एंड इस्टैबलिशमेंट एक्ट सर्टिफिकेट, SSI रजिस्टर्ड सर्टिफिकेट, सेल्स टैक्स सर्टिफिकेट में से कोई एक चीज दे सकते हैं.
- पिछले 6 महीनों की बैंक स्टेटमेंट. सेल्फ इम्पलायड (प्राइवेट लिमिटेड कंपनी) के लिए भी पार्टनरशिप वाली कंपनी वाले सेल्फ इम्पलायड वाले डॉक्यूमेंट लगेंगे।
बैंक स्टेटमेंट के साथ ITR भी है जरूरी ?
बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि उन्होंने बताया कि 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट और ITR दोनों को एकसाथ मांगे जाने की वाजिब वजह है। वही 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट किसी भी व्यक्ति के बारे में यह बताती है कि उसकी वित्तीय स्थिती कैसी है। इसे देखकर बैंक व्यक्ति के कैश फ्लो के बारे में जान सकता है, और उसकी आय को वेरिफाई करता है। यह स्टेटमेंट बताती है कि व्यक्ति के पास महीने-दर-महीने कितना पैसा आ रहा है। लगातार पैसा आए तो वह अपना कर्ज उतारने में सक्षम होगा। यदि स्टेटमेंट में पता चले कि वह ओवरड्राफ्ट यूज करता है, कई चेक रिटर्न होते हैं, असामान्य शॉपिंग दिखती है तो माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति का पैसे के मैनेजमेंट बेहतर नहीं है।