Chaitra Navratri 2025: भारत में चैत्र नवरात्रि का पर्व इस वर्ष 30 मार्च से आरंभ हो रहा है जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के प्रथम दिन से शुरू होकर नौ दिनों तक चलता है. इस दौरान, मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, प्रत्येक दिन एक नए स्वरूप की आराधना के साथ. यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है बल्कि यह भक्तों को आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर अग्रसर करता है.
घट स्थापना
घट स्थापना, जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है, नवरात्रि के प्रथम दिन किया जाने वाला एक मुख्य अनुष्ठान है. इसे शुभ मुहूर्त में संपन्न करने की परंपरा है, जिसे ज्योतिषाचार्यों द्वारा निर्धारित किया जाता है. इस वर्ष, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च की सुबह 5:31 से दोपहर 12:46 तक है, जिसमें विशेष रूप से सुबह 8:35 से 10:32 तक अति शुभ समय माना गया है.
घट स्थापना की प्रक्रिया
घट स्थापना से पहले, भक्तों को जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद मंदिर की सफाई करनी चाहिए. मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें. पहले गणेश पूजन करने के बाद, मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ बोएं. कलश को गंगा जल से भरें और उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा घास और अक्षत रखें. कलश पर स्वास्तिक चिह्न बनाएं और उसे मौली से बांधें. कलश के मुख पर पांच पत्ते रखें और उसे नारियल से सजाएं. अंत में, इस कलश को जौ के बीच में स्थापित करें और मां दुर्गा की आराधना शुरू करें.
जौ की महत्ता
नवरात्रि में जौ बोने का विशेष महत्व है. जौ को सृष्टि की पहली फसल माना जाता है और इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. नवरात्रि के दौरान जौ का अंकुरण और वृद्धि समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है.