Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति और समाजशास्त्र के महान ज्ञाता थे. उनकी नीतियां जीवन के हर पहलू को सरल और सटीक रूप से समझाती हैं. चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को चार बातों को लेकर कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये हमारे वास्तविक मूल्यों और व्यक्तित्व को दर्शाती हैं.
पुराने कपड़ों को लेकर शर्म न करें
चाणक्य ने कहा है कि कपड़े हमारी पहचान का हिस्सा (importance of clothing in personality) हो सकते हैं, लेकिन उनका नया या पुराना होना हमारी असली पहचान नहीं दर्शाता. यदि कपड़े साफ-सुथरे और पहनने योग्य हैं, तो उनके पुराने होने पर शर्माने की जरूरत नहीं. आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को कपड़ों के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए. सादगी अपनाने से मानसिक शांति भी बनी रहती है.
गरीब दोस्तों के साथ होने में शर्म न करें
चाणक्य के अनुसार सच्ची दोस्ती धन या सामाजिक स्थिति पर आधारित नहीं होती बल्कि प्रेम, विश्वास और आपसी समझ पर टिकी होती है. अगर आपके मित्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तो उनके साथ होने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए. इससे आपका व्यक्तित्व मजबूत होता है और सहानुभूति का विकास होता है.
वृद्ध माता-पिता का सम्मान करें
बुजुर्ग माता-पिता हमारे जीवन का आधार होते हैं. उनका अनुभव और बलिदान (importance of respecting elderly parents) हमें इस योग्य बनाता है कि हम जीवन में सफल हो सकें. चाणक्य के अनुसार, वृद्ध माता-पिता की सेवा करना और उनका सम्मान करना हर संतान का कर्तव्य है. उनकी उम्र या स्थिति से शर्म महसूस करना हमारे संस्कारों और नैतिकता के खिलाफ है. माता-पिता के प्रति आदर प्रकट करना हमारी संस्कृति की पहचान है.
साधारण जीवन शैली अपनाने में कोई शर्म नहीं
चाणक्य ने सादगी को जीवन का आधार माना है. साधारण जीवन जीने (importance of simple lifestyle) में ही असली आनंद है. दिखावे और अनावश्यक खर्च से बचकर हम अपने संसाधनों का सही उपयोग कर सकते हैं और मानसिक शांति पा सकते हैं. साधारण जीवन जीने वाले लोग अधिक संतुष्ट और खुश रहते हैं.
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। palcollegeofnursing.com इनकी पुष्टि नहीं करता है।