Chardham Rail Project: भारतीय रेलवे जल्द ही एक और उपलब्धि हासिल करने वाला है। कटरा से कश्मीर तक रेल लाइन बिछाने के बाद रेलवे अब पहाड़ों में एक और बड़ी परियोजना को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। पहाड़ों के बीच इस रेलवे लाइन को बिछाने में कई कठिनाइयां आईं। लेकिन रेलवे ने सभी कठिनाइयों को पार कर लिया है और कई चरणों को पूरा कर लिया है। 230 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक में से 125 किलोमीटर का हिस्सा बेहद कठिन है। क्योंकि इसका 105 किलोमीटर हिस्सा सुरंग से होकर गुजरता है।
बताया जा रहा है कि केदारनाथ के कपाट 2 मई से और बद्रीनाथ के कपाट 4 मई से खुलेंगे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा भी शुरू हो जाएगी। इस समय यह यात्रा पूरी करना बहुत कठिन कार्य है। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी वर्तमान में 229 किलोमीटर है, जो केवल बस या कच्चे सड़क मार्ग से ही तय की जा सकती है। वर्तमान में इस दूरी को तय करने में लगभग 8 से 10 घंटे लगते हैं। जब यह रेल परियोजना पूरी हो जाएगी तो इस दूरी को तय करने में केवल 3 से 4 घंटे लगेंगे।
351 किलोमीटर लंबा ट्रैक:
रेलवे इस पूरे 351 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण कर रहा है। यह पूरा ट्रैक 4 भागों में विभाजित है। पहला ऋषिकेश से मनेरी गंगोत्री तक 131 किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक है। इसके बाद मनेरी से यमुनोत्री तक के दूसरा ट्रैक की लंबाई 46 किलोमीटर है। कर्णप्रयाग से सोनप्रयाग तकतीसरे ट्रैक की लंबाई 99 किमी है। सालकोट से जोशीमठ तक चौथे ट्रैक की लंबाई 75 किलोमीटर है। भारतीय रेलवे ने इस पूरे ट्रैक को 4 भागों में बांटकर 351 किलोमीटर लंबा बनाया है।
17 सुरंगों का निर्माण:
रेलवे ऋषिकेश से चारधाम तक मार्ग पर कुल 17 सुरंगों का निर्माण करेगा। इसका काम भी काफी हद तक पूरा हो चुका है। इस ट्रैक पर कुल 27 स्टेशन बनाए जाएंगे। 35 से अधिक पुल भी बनाए जाएंगे। इनमें से 10 स्टेशन सुरंग के अंदर बनाए जाएंगे। इसके अलावा, कर्णप्रयाग तक बनने वाले 12 स्टेशनों में से केवल 2 ही जमीन के ऊपर बनाए जाएंगे। कर्णप्रयाग तक 125 किलोमीटर रेल लाइन में से 105 किलोमीटर सुरंग है, अर्थात यह भूमिगत है।
यह परियोजना कितनी बड़ी है?
रेलवे इस परियोजना पर लगभग 74,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा। 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। रेलवे का मानना है कि इस परियोजना के पूरा हो जाने पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग मात्र 4 घंटे में तथा जोशीमठ से 6 घंटे में पहुंचना संभव हो सकेगा। वहां से केदारनाथ की दूरी काफी कम हो जाती है। इस रेल परियोजना के साथ-साथ केदारनाथ तक रोपवे का भी निर्माण किया जा रहा है।