Cheque Bounce: Cheque Bounce होने पर भारतीय कानून के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जानिए क्या है सेक्शन 138 के तहत कानूनी प्रक्रिया, कितनी हो सकती है सजा, और कैसे करें मामले का निपटारा। पूरी जानकारी यहां पढ़ें।
banking लेन-देन में चेक एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है, जिसके जरिए बड़े भुगतान आसानी से किए जाते हैं। हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि चेक bank में जमा करने पर ‘bounce’ हो जाता है। इसका मतलब है कि bank उस चेक का भुगतान नहीं करता। यह स्थिति न केवल लेन-देन को प्रभावित करती है, बल्कि कई कानूनी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकती है। इस लेख में हम समझेंगे कि चेक bounce क्यों होता है, इसके कानूनी परिणाम क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
चेक bounce क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति द्वारा जारी किया गया चेक bank में प्रस्तुत किया जाता है और वह क्लीयर नहीं होता, तो इसे ‘चेक bounce’ कहा जाता है। इसका मुख्य कारण खाते में अपर्याप्त राशि या तकनीकी त्रुटियाँ होती हैं। bank द्वारा चेक bounce होने पर एक मेमो जारी किया जाता है जिसमें असफल लेन-देन का कारण बताया जाता है।
चेक bounce होने के कारण
1. खाते में अपर्याप्त राशि: सबसे सामान्य कारण है खाते में पर्याप्त धनराशि का न होना।
2. सिग्नेचर में गड़बड़ी: यदि चेक पर हस्ताक्षर bank के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।
3. तारीख की गलती: यदि चेक पर गलत तारीख हो या एक्सपायर हो चुकी हो।
4. ओवरराइटिंग: चेक पर कोई भी ओवरराइटिंग होने पर bank उसे अस्वीकार कर सकता है।
5. खाता फ्रीज: किसी कानूनी प्रक्रिया या bank द्वारा खाते को फ्रीज कर दिया गया हो।
6. तकनीकी त्रुटियाँ: MICR कोड या चेक नंबर में गलती होने पर भी चेक bounce हो सकता है।
चेक bounce होने पर क्या होता है?
चेक bounce होने की स्थिति में निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
1. bank मेमो जारी करता है: इसमें bounce का कारण और चेक से संबंधित जानकारी होती है।
2. पेनल्टी शुल्क: bank चेक देने वाले और प्राप्तकर्ता दोनों से शुल्क लेता है।
3. लीगल नोटिस: यदि 30 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो लेनदार कानूनी नोटिस भेज सकता है।
4. मुकदमा दर्ज: नोटिस के 15 दिनों में भुगतान न होने पर केस दर्ज किया जा सकता है।
चेक bounce पर कानूनी प्रावधान
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत चेक bounce को दंडनीय अपराध माना गया है। इसके अंतर्गत:
अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है।
जुर्माना चेक की राशि के दोगुना तक लगाया जा सकता है।
यदि आरोपी दोषी साबित होता है तो उसे जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है।
चेक bounce से कैसे बचें?
1. पर्याप्त बैलेंस रखें: चेक जारी करने से पहले खाते में धनराशि की जांच करें।
2. सही हस्ताक्षर करें: हस्ताक्षर हमेशा एक समान और bank रिकॉर्ड से मेल खाने चाहिए।
3. ओवरराइटिंग न करें: चेक पर किसी भी प्रकार की काट-छांट न करें।
4. तारीख की पुष्टि करें: चेक की तारीख सही हो और वह तीन महीने के भीतर वैध हो।
5. तकनीकी त्रुटियों से बचें: चेक पर लिखी सभी जानकारियाँ स्पष्ट और सही होनी चाहिए।
चेक bounce एक गंभीर मुद्दा है जिससे वित्तीय नुकसान के साथ-साथ कानूनी परेशानियाँ भी हो सकती हैं। इसे नजरअंदाज करना आपके लिए भारी पड़ सकता है। इसलिए, हमेशा ध्यान रखें कि चेक जारी करने से पहले सभी आवश्यक जानकारियाँ सही और वैध हों। यदि किसी कारणवश चेक bounce हो जाए, तो कानूनी प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन करें।
इस लेख में हमने Cheque Bounce से जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरल भाषा में समझाया है ताकि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।