Cheque Bounce: हाल ही में हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि अब चेक बाउंस होने पर दोषी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह फैसला चेक बाउंस मामलों में बढ़ते विवादों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पढ़ें पूरी डिटेल नीचे।
चेक बाउंस होने पर यह एक गंभीर कानूनी अपराध बन जाता है, जिसके परिणामस्वरूप चेक देने वाले को न केवल सलाखों के पीछे भेजा जा सकता है, बल्कि भारी जुर्माना भी लग सकता है। इस बारे में कोर्ट का ताजा फैसला एक अहम उदाहरण है, जिसमें चेक बाउंस के मामलों में दोषी पाए जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है।
हाई कोर्ट का निर्णय Cheque Bounce
दिल्ली हाई कोर्ट ने चेक बाउंस के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। आरोपी ने चेक बाउंस के केस में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि नोटिस देने के बाद भी आरोपी भुगतान नहीं करता है, तो उस पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने क्या दावा किया Cheque Bounce
संजय नामक व्यक्ति ने चेक बाउंस के मामले में मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पहले की सुनवाई में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने भी निचली अदालत के फैसले को सही माना था।
निचली अदालत का फैसला Cheque Bounce
मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराते हुए तीन महीने की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। जुर्माना राशि शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में दी जानी थी। अगर याचिकाकर्ता ने चार माह तक भुगतान नहीं किया, तो उसे तीन महीने की अतिरिक्त सजा भी सुनाई गई थी।
याचिकाकर्ता के पास नहीं थे सबूत Cheque Bounce
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि चेक गुम हो गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने पाया कि उसके पास इस दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं था। न ही उसने बैंक को चेक के भुगतान को रोकने के लिए कोई आदेश दिया था। इस वजह से कोर्ट ने निचली अदालत का निर्णय सही ठहराया।
पूरा मामला Cheque Bounce
संजय ने कोटक महिंद्रा बैंक से 4 लाख 80 हजार रुपये का एक महीने का लोन लिया था, जिसके लिए उसने चेक दिया था। जब बैंक में चेक लगाया गया तो वह बाउंस हो गया। इसके बाद बैंक ने उसे 15 दिन का नोटिस भेजा, लेकिन उसने भुगतान नहीं किया, जिससे कोर्ट ने कड़ा फैसला सुनाया।
