cheque bounce news : आज भी कई लोगों को चेक बाउंस से जुड़े कारणों और चेक बाउंस के मामलों में मिलने वाले नोटिस को लेकर पूरी तरह से जानकारी नहीं है। हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (notice for cheque bounce) के मामले में अहम फैसला सुनाया है, जो हर चेक यूजर के लिए जानना जरूरी है। कोर्ट ने इन मामलों में एक खास तरह के नोटिस (cheque bounce notice) को वैध माना है। आइये जानते हैं कोर्ट का यह अहम फैसला।
जब भी चेक बाउंस होता है तो चेक जारी करने वाले को नोटिस मिलना तय होता है। कई लोग कुछ खास तरीकों से भेजे गए नोटिस (cheque bounce valid notice) को वैध नहीं मानते और इसकी अनदेखी करते हैं। अब चेक बाउंस के मामलों में खास तरीकों से प्राप्त नोटिस की अनदेखी करना भारी पड़ेगा।
हाईकोर्ट (high court news) ने ऐसे नोटिस को वैध मानते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले को सुलझाने के लिए कानून में दिए गए कई प्रावधानों का भी अवलोकन किया है। हाईकोर्ट (HC decision on cheque bounce) की ओर से सुनाया गया यह फैसला हर तरफ चर्चाओं में है।
इस मामले में सुनाया फैसला-
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) की धारा 138 के अनुसार लिखित तौर पर नोटिस मान्य होता है। इसमें नोटिस भेजने के तरीके को लेकर उल्लेख नहीं है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (HC decision on cheque bounce notice) के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों जैसे ईमेल और व्हाट्सएप के जरिये डिमांड नोटिस भेजने को वैध करार दिया है।
इस मामले में कोर्ट ने इंडियन एविडेंस एक्ट (Indian Evidence Act) को भी आधार बनाया। अदालत ने यह निर्णय राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) के मामले में दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चेक बाउंस होने पर ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से अगर डिमांड नोटिस (cheque bounce demand notice) भेजा जाता है तो पूरी से वैध व मान्य होगा। हालांकि यह आईटी एक्ट की धारा 13 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार होना जरूरी है।
इस एक्ट का कोर्ट ने दिया हवाला –
इस मामले में फैसले से पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court decision on cheque notice) ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट और आईटी एक्ट के प्रावधानों को बारीकी से देखा। आईटी और एविडेंस कानून के अनुसार चेक बाउंस (Allahabad High Court news) के मामले में ग्राहक को दी गई जानकारी लिखित और टाइप रूप में मान्य होगी।
आईटी एक्ट (IT act) के सेक्शन 4 और 13 में बताए गए प्रावधान का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने इस बात की पुष्टि भी की। हाईकोर्ट ने कहा कि इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65 बी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को स्वीकृति देती है।
यह कहा है हाईकोर्ट ने-
हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस बात पर जोर दिया है कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (Negotiable Instruments Act) के तहत कोई मामला कोर्ट में आता है तो संबंधित मजिस्ट्रेट या कोर्ट इसका पूरा रिकॉर्ड रखें और यह भी तय करें कि शिकायत रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिये भेजी होनी चाहिए।
इस मामले में राजेंद्र यादव (Rajendra Yadav UP govt case) की ओर से कई नामी वकीलों व कानूनविदों ने अपना पक्ष रखा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी इस मामले में पक्ष रखा गया। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट से जुड़े मामलों की सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश (UP news) के मैजिस्ट्रेट्स को निर्देश जारी कर दिए हैं।