Cobra Capital Of India: भारतीय संस्कृति में सर्पों विशेषकर कोबरा की पूजा सदियों से होती आ रही है. धार्मिक ग्रंथों में नागों को दैवीय प्रतीक माना गया है. नाग पंचमी जैसे पर्व इस परंपरा को और भी मजबूत बनाते हैं, जहां सांपों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध अर्पित किया जाता है.
कोबरा को क्यों माना जाता है खास?
भारतीय कोबरा को उसकी फैलती फन और ज़हर की तीव्रता के कारण विशेष स्थान मिला है. इसे अक्सर भगवान शिव और भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है. धार्मिक प्रतीकों में नागों को शक्ति, रक्षा और ज्ञान का प्रतीक माना गया है.
कोबरा की राजधानी – अगुंबे गांव
भारत में ऐसा भी एक गांव है जिसे ‘कोबरा की राजधानी’ कहा जाता है – यह है कर्नाटक का अगुंबे गांव, जो वेस्टर्न घाट की घनी हरियाली में स्थित है. यह गांव सिर्फ 3 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. समुद्र तल से करीब 2700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसे ‘दक्षिण का चेरापूंजी’ भी कहा जाता है. क्योंकि यहां सालभर भारी बारिश होती है.
अगुंबे प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का केंद्र
अगुंबे न केवल सांपों के लिए, बल्कि दुर्लभ जीव-जंतुओं के लिए भी जाना जाता है. यहां पाई गई कुछ प्रमुख प्रजातियां:
- मालाबार ग्लाइडिंग फ्रॉग
- मालाबार हॉर्नबिल
- मालाबार पिट वाइपर
- मेलानिस्टिक तेंदुआ (काला तेंदुआ)
- गजराज (हाथी)
इसके अलावा यहां की फफूंद की कुछ दुर्लभ प्रजातियों के नाम भी इसी गांव पर आधारित हैं.
अगुंबे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन की भूमिका
प्रसिद्ध सर्प विशेषज्ञ पद्मश्री रोमुलस व्हिटेकर ने यहीं पर अगुंबे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन (ARRS) की स्थापना की. इस संस्थान में भारत का पहला किंग कोबरा रेडियो टेलीमेट्री प्रोजेक्ट शुरू हुआ. जिसका उद्देश्य था किंग कोबरा के व्यवहार, आवास और संरक्षण को समझना.
अगुंबे का सबसे खतरनाक लेकिन अहम निवासी
अगुंबे की सबसे बड़ी पहचान किंग कोबरा है. यह दुनिया के सबसे जहरीले और खतरनाक सांपों में से एक है. यह अन्य सांपों को खाकर जीवित रहता है. जिनमें करैत और अन्य कोबरा भी शामिल हैं. यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. इसे एपेक्स प्रिडेटर माना जाता है, जो भोजन श्रृंखला के शीर्ष पर होता है.
किंग कोबरा का पारिस्थितिक महत्व
जहां ज़्यादातर सांप इंसानों से दूर रहते हैं, वहीं किंग कोबरा न केवल खुद विषैला होता है. बल्कि दूसरे जहरीले सांपों की आबादी भी नियंत्रित करता है. इससे वह स्थानीय जैव विविधता में संतुलन बनाए रखता है और उन प्रजातियों की अत्यधिक वृद्धि को रोकता है. जो अन्यथा पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती थीं.